बलरामपुर : निकाय चुनाव बने योगी सरकार के गले की फांस
दैनिक बुद्ध का संदेश
बलरामपुर। स्थानीय निकाय चुनाव की एकाएक पूर्ण गर्मी एक तरह से ठंड मौसम के साथ ही सिकुड़ कर रह गई है बताते चलें विगत 2 माह से निकाय चुनाव में मात्र लेने की तैयारी में बैठे विभिन्न पदों के दावेदार एकाएक आरक्षण और गैर आरक्षण के मकड़जाल में फस कर हंसी के पात्र बन गए योगी सरकार आरक्षण के मुद्दे पर अपने नफा नुकसान को देखने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने जा रही है सरकार का प्रयास हो रहा है की आरक्षण कोर्ट के हिसाब से निकाय चुनाव कराये जाये प्रदेश सरकार की हीला हवाली के कारण निकाय चुनाव को टालना निर्वाचन आयोग की मजबूरी बनी वही विपक्षी नेताओं ने आरक्षण मामले में योगी सरकार की हीला हवाली ने एक बड़ा मुद्दा विपक्षो को दे दिया है न चाहते हुए सरकार को निकाय चुनाव में ओ० बी०सी० आरक्षण के लिए आयोग तक गठित करना पड़ा सरकार उक्त चुनाव आयोग के निर्णय के बाद कराने की आग्रह भी सुप्रीम कोर्ट में करना चाहती है।
पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय देगा यह तो गर्त की बात है परंतु पूरे प्रदेश के नगर पालिका नगर पंचायतों ने एकाएक चुनाव की सरगर्मी ठंड पड़ गई लोगों से जब इस बारे में जानकारी ली गई तो लोगों ने अपने अपने तरीके से मत व्यक्त किया जनपद मुख्यालय के सदर तहसील के आस पास के लोगों से जब बातचीत की गई तो लोगों ने कहा कि सरकार जान बूझ कर चुनाव नहीं कराना चाहती है इस मुद्दे पर सत्र न्यायालय के युवा अधिवक्ता अजीत शुक्ला ने कहा कि निकाय चुनाव में आरक्षण कर दिए जाने से ऐसे लोग निर्वाचित होने से वंचित रह जाएंगे जो उस पद और उसकी गरिमा के अनुकूल है गांवों में पंचायत चुनाव में तो आरक्षण ठीक है पर नगरपालिका आदि में यह व्यवहारिक रुप से उचित नहीं है वही रामकुमार वर्मा ने कहा कि आरक्षण से उन लोगों को भी मौका मिलेगा जो इस पद के लिए हमेशा से वंचित रहे सरकार को चाहिए कि आरक्षण मुद्दे पर मजबूत स्टैंड ले अन्यथा इसका खामियाजा इन्हें उठाना पड़ेगा नगर के वरिष्ठ समाजसेवी इरफान पठान ने भी पूरी बेबाकी से कहा कि नगर पंचायतों व नगरपालिका परिषदों में अध्यक्ष पद के लिए किसी प्रकार का आरक्षण नहीं होना चाहिए।