भगवान के सगुण और निरगुण स्वरूप पृथ्वी परहुये अवतरण-राधेश्याम शास्त्री महाराज

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के तत्वावधान में अगंद टीला पर राधेश्याम शास्त्री महाराज के मुखारविंद से चल रही श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर भगवान के सगुण और निरगुण स्वरूप और पृथ्वी हुये अवतरण का विस्तार से वर्णन किया वा श्रीराम चरित मानस के अनेक प्रसंगों को राष्ट्र और समाज के लिये अनुकरणीय बताया गया।कथा व्यास राधेश्याम शास्त्री ने कहा श्रीराम कथा सर्वाेच्च है,जब असाधारण लोग चर्चा करते हैं तो वह साधारण नही रह जाती है।यह माता पार्वती के जिज्ञासा से जुड़ी है इस जिज्ञासा को भगवान की तरफ मुड़ी है।भगवान के चार गुण बताये गये हैं निरुगुण-निराकार, श्रीराम के रुप गुण और आकार भी प्रकट हुये इस लिये सगुण साकार कहलाये।महाभारत में श्री कृष्ण ने द्रुयोध्न के सामने अपने साकार रूप को प्रकट नही वहीं विदुर जी के सामने अपने सगुण को प्रकट किया।पानी का कोई आकार नही पर उसे फ्रिज में रख दीजिए वह उस आकार को प्राप्त कर लेगा।उसी प्रकार ब्रह्म का रूप नही है। वह ब्रह्म जब आकर रामलला के रुप में आकर स्थापित हो जायें तो सगुण आकार ग्रहण कर लेते हैं।श्रीराम जी का अवतरण मात्र भक्तों के लिये हुआ है।भक्त होना साधारण बात नही,जब जब भक्तों को हानि पहुंचा तब तब भगवान विभिन्न स्वरूप धारण धर्म वस्तु नही है धर्म का जोए आचरण सम्मान, त्याग करते ऐसे धर्म की हानि जब होती तब भगवान का प्रकटीकरण होता है।मनुष्य को अपने विचारों और संस्कारों पर अडिग रहना चाहिए। अपने लोक परलोक को सुधारने के लिये भगवद् प्राप्ति कीजिए।कथा दर्शन पूज सत्य की प्राप्ति का माध्यम तथादुनिया में जहां मस्जिद हैं वंहा मदरसे, चर्च जहा हैं वंहा कान्वेंट हैं कितने मंदिरों के पास बगल गुरुकुल हैं। हम गुरुकुल में अपने बच्चों नही भेजते हैं जबकि वह अपने बच्चों को अपने धर्म के अनुसार उन्हें चर्च और मदरसों में भेज रहे हैं।अपनी संस्कृति परम्परा और धर्म को अक्षुण कीजिए।धर्म ही हमे बल प्रदान करेगा।धर्म के चारो चरणों और दस लक्ष्णों पर कथा व्यास ने व्याख्या करते उनके गुणों को समझाया।धर्म ही मनुष्य का वास्तविक मित्र ,सच्चा साथी है। लोक और परलोक को भी सुधारता है।धर्म की रक्षा के लिये श्रीराम लला का अवतरण हुआ है। भगवान असुरों से रक्षा करते हैं। भगवान को जोड़ने का माध्यम सेतु हैं वेद हैं।कायरता से धर्म की स्थापना नही हो सकती है। धर्म की स्थापना वीरता और शक्ति से होती है। भगवान में वीरता और शक्ति समाहित है।सनातन समृद्ध है।इसमें भगवान के अनेक अवतार हुये और सनातनियों ने अनेक स्वरुपों का दर्शन कर आनंद प्राप्त किया।सनातन की समृद्धि निरंतर बढ़ती जा रही है। आज सनातन पर संशय खड़ा करने वाले अपने ही सनातनी हैं। सनातन अमर है,वह अक्षुण है। जिसपर कभी संशय नही किया जा सकता है।सनक सनंदन सनद कुमार साक्षात धर्म के अधिष्ठाता हैं।जिन्होंने स्वयं का साक्षात्कार किया ऐसे ही मनुष्य को स्वयं का साक्षात्कार करना चाहिए तभी हम अच्छे बुरे कर्माे का अवलोकन कर सकते हैं।इस राष्ट्र को बचाने वाले चार शक्तियां हैं संत, सती, सैनिक और शहीद हैं। जिंहोने इस राष्ट्र संबल प्रदान कर रखा है।पुण्य अगर पाप का अनुगामी हो जाय तो वह पुण्य नही रह जाता है। इस लिये पुण्य को स्थापित करने के लिये पाप का दमन करना होगा।समाजवाद राम जी की चरणों में तुलसी ने जो समाज वाद का चित्रण किया है वही समाजवाद है। जो एक परिवार तक सीमित और समाज को विखंडित करे वह समाजवाद नही हो सकता है।समाजवाद अगर देखना और ग्रहण करना है तो रामायण और गीता को पढे और सुने।आज कुछ लोग अपने तथाकथित हित साधने के लिये झूठे समाजवाद का ढिढोरा पीट रहे हैं।