रायबरेली : अगस्त से दो सितम्बर तक चलेगा आईडीए अभियान
जनपद में 28.37 लाख जनसंख्या को फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का लक्ष्य
दैनिक बुद्ध का संदेश
रायबरेली। जनपद में 10 अगस्त से दो सितंबर तक फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराए जाने के लिए सर्वजन दवा (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा। इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि आईडीए अभियान जनपद के 15 ब्लॉक अमावां, डीह, जतुआटप्पा, दीन शाहगौरा, बेलाभेला, बछरावां, हरचंदपुर, खीरों, महाराजगंज, नसीराबाद, सलोन, सरेनी, ऊंचाहार और नगरीय क्षेत्र में चलेगा। इन ब्लॉक में आईडीए अभियान के तहत आइवरमेक्टिन, डाईइथाईल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है। इसके मुख्य लक्षण पैरों व हाथों में सूजन (हाथीपांव), पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोश का सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन है। फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला रोग है। यह बीमारी लाइलाज है। यह बीमारी ठीक नहीं होती है और व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है। इस बीमारी से बचने के लिए उपाय है मच्छरों से बचाव और फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन। जनपद की 28.37 लाख जनसंख्या को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का लक्ष्य है। फाइलेरिया रोधी दवा एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को करनी है। अभियान को सफल बनाने के लिए 2565 टीमें बनाई गई हैं और उनके सुपर विजन के लिए 427 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और स्वयंसेवी संस्था पाथ मॉनिटरिंग और सुपरविजन करेंगी। जिले पर एक और 15 ब्लॉक पर कुल 32 रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) बनाई गई है जो प्रतिकूल प्रतिक्रिया होने पर तुरंत आवश्यक सहयोग करेगी। अभियान को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है। दवाएं और लॉजीस्टिक वितरित हो चुके है। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा श्री कृष्णा ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद कुछ ,व्यक्तियों में जी मितलाने, चकत्ते पड़ना, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है। इससे घबराने के जरूरत नहीं है। इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद थे और फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया परजीवियों के खत्म होने के परिणामस्वरूप ऐसी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डी.एस.अस्थाना ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन बहुत जरूरी है यह नहीं सोचना है कि हम सामान्य हैं तो दवा क्यों खाएं लेकिन दवा का सेवन इसलिए जरूरी होता है
क्योंकि फाइलेरिया का संक्रमण होने के बाद फाइलेरिया के लक्षण 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं और तब तक हम जाने अनजाने रोग के प्रसार मे सहयोग करते रहते हैं। फाइलेरियारोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं बस इस बात का ध्यान रखें कि दवा खाली पेट नहीं खानी है। जिला मलेरिया अधिकार भीखुल्लाह ने बताया कि इस अभियान में स्वयंसेवी संस्थाए भी सहयोग कर रहीं है जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ पाथ, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) और पीसीआई। सीफ़ॉर संस्था के सहयोग से जनपद में प्रचार प्रसार तथा पीसीआई के द्वारा समुदाय में फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए जागरूकता की जा रही है। इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राधा कृष्ण, डा. शरद कुमार, डा. अरुण कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारी, सहयोगी संस्था पाथ और पीसीआई के प्रतिनिधि तथा मीडिया बंधु मौजूद रहे।