सिद्धार्थनगर : आज से होगा पुरानी पेंशन के मुद्दे पर केन्द्रीय व राज्य कर्मचारी एकजुट आंदोलन
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सिद्धार्थनगर। पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली संयुक्त मंच के प्रांतीय पर्यवेक्षक और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के मंडल अध्यक्ष अरुण कुमार प्रजापति ने सभी कर्मचारियों से अपील की है कि कल होने वाले महा आंदोलन जिसमें केन्द्रीय, राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनर्स का समेकित मंच के बैनर तले 21 मार्च 23 को जनपद मुख्यालयों पर बड़ा प्रदर्शन व कर्मचारी शिक्षक समाज बड़ा मुद्दा लेकर पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को लेकर व्यापक रणनीति बनाई है।
आन्दोलन को धार देने के लिए रेलवे, डाक, आयकर, पासपोर्ट, आकाशवाणी, दूरदर्शन, के साथ लेकर राज्य कर्मचारी संगठनों में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, कलेक्ट्रेट मिनिस्टीरियल एसोसिएशन, डिप्लोमा इंजीनियिर्स महासंघ, उघान, सिंचाई, परिवहन, कोषागार, निबंधन, लोकनिर्माण विभाग, कृषि, मण्डी, प्रदूषण नियंत्रण, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, अल्प बचत, रजिष्टार चिटफण्ड, श्रम, शिक्षा, राजस्व, ग्राम विकास, ग्राम पंचायत, सफाई कर्मचारी, आईटीआई, बाल विकास पुष्टाहार, खाद्य रसद, सहित सैकड़ों विभाग के सेवा संगठनों ने मिलकर 21 जनवरी को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय सम्मेलन में पुरानरी पेंशन बहाली के लिए आन्दोलन की रूपरेखा बनाई थी। नई पेंशन योजना वापस लेने एवं पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच के बैनर तले राष्ट्र व्यापी आन्दोलन का निर्णय लिया जा चुका है। इसी क्रम में कल 21 मार्च 23 को जनपद मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जा रहा है। राज्य कर्मचारियों, शिक्षको,केन्द्रीय कर्मचारी संगठनों को भी अपने साथ लेकर 20 मार्च कों लखनऊ में प्रेस वार्ता में केन्द्रीय कर्मचारी संगठन रेलवे के आर.के. पाण्डेय, परिषद से हरिकिशोर तिवारी, शिवबरन सिंह यादव, ने बताया कि 2004 से नव परिभाषित अंशदान पेंशन योजना से पूरे कर्मचारी, शिक्ष्क समाज का भविष्य अंधकार मय हो गया है। कई बार उच्च स्तरीय बैठक पर नई पेंशन योजना का हर स्थिति में विरोध दर्ज कराया गया लेकिन सरकार ने अब तक ध्यान नही दिया। परिणाम स्वरूप एक राष्टव्यापी मंच का गठन कर पुरानी पेंशन बहाली के लिए एक निर्णायक आन्दोलन की शुरूआत की जा रही है। पोस्टल आर्डर के शत्रुहन यादव ने पुरानी पेंशन के मामले में सरकार का ध्यान आकृषित कराते हुए कहा कि कर्मचारी शिक्षक समाज को हर हाल में पुरानी पेंशन बहाली चाहिए। परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कर्मचारियों और शिक्षक के फण्ड का पैसा शेयर बाजार में लगाए जाने का पुरजोर विरोध करते हुए इससे होने वाले नुकसान की जानकारी दी। उन्होंने तर्क से साथ कहा कि पुरानी पेंशन बहाली से सरकार के ऊपर कोई फर्क नही पड़ने वाला। जनवरी 2044 से केन्द्रीय कर्मचारियो तथा अर्प्रैल 2005 से उ0प्र0 ने नई पेंश्न योजना को यह कहकर लागू कर दिया था कि प्रस्तावित नई व्यवस्था भी पुरानी पेंशन जैसी होगी। कर्मचारियों को कोई नुकसान नही होगा। किन्तु इतने दिनों में यह बॉत सिद्ध नही हो पाई। उल्टे सेवानिवृत्त हो रहे कार्मिकों को 2000 से 5000 हजार तक ही पेंशन राशि मिल पा रही है। उदाहरण देते हुए बताया गया कि सिंचाई विभाग उ.प्र. बाबू लाल, अरूण त्रिपाठी, प्रेमबाबू, शीतलाबक्स सिंह और गजानन्द पाण्डेय को नई पेंशन के तह्त शुन्य है। जबकि रेलव से सेवानिवृत्त आर. रामचन्द्रन और के. भास्कर राव को क्रमशः 2417 रूपये और 2506 रूपये मात्र पेंशन मिल रही है। जबकि पुरानी पेंशन व्यवस्था में यह राशि न्यूनतम 15000 रूपये होती थी।ऐसे में इस महंगाई में यह राशि कर्मचारी के बुढ़पें का क्या सहारा बन पाएगी। ऐसी स्थिति में पुरानी पेंशन व्यवस्था ही एक सामाजिक सुरक्षा है इसे हर हाल में लागू किया जाए। पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच द्वारा पूरे देश से महामहिम राष्ट्रपति को आनलाईन पिटीशन भेजी गई, 21 फरवरी पुरानी पेंशन के लिए रेलवे कार्यालयों के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया जा चुका है। 21 मार्च में देश भर के सभी जनपद मुख्यालयों में प्रदर्शन के साथ मंच द्वारा सितम्बर तक क्रमवार आन्दोलन जारी रखा जाएगा।