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सम्पादकीय. हनुमान चालीसा के द्वारा सभी के कंठ में विराजे हैं गोस्वामी तुलसीदास

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दैनिक बुद्ध का संदेश
अवधी बोली को कोटि कोटि जन में व्याप्त करने वाले गोस्वामी तुलसीदास जी ही हैं। अवधी बोली को भाषा बनाने का सबसे बड़ा और सशक्त अभियान गोस्वामी तुलसीदास जी ने चला रखा था। मध्यकालीन भारत के अवधी बोली और धर्म के सबसे बड़े नेता थे।

तथ्य यह भी है कि श्री हनुमान चालीसा के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी उत्तर भारत के प्रत्येक सनातन की आस्था के केंद्र बिंदु हैं। भगवान श्रीराम की कथा और ऐतिहासिकता को लोक में व्याप्त करने के लिए जहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरित मानस की रचना की वहीं श्री हनुमान जी की भगवान श्रीराम के प्रति अत्यंत विनीत मुद्रा और सेवक धर्म से परिपूर्ण होने के कारण श्री हनुमान चालीसा की भी रचना की। ऐतिहासिक तथ्य यह भी है कि श्री हनुमान जी का गोस्वामी तुलसीदास जी को सान्निध्य प्राप्त था।
गोस्वामी तुलसीदास असाधारण कवि, साधक और धार्मिक अग्रदूत हैं। 40 दोहों के श्री हनुमान चालीसा के द्वारा किसी भी कवि की आम जनता में उतनी पहुंच नहीं है जितनी श्री राम और श्री हनुमान साधक गोस्वामी तुलसीदास जी की है। भारतीय धर्म साधना में श्री हनुमान चालीसा कोटि कोटि जन को भयमुक्त करती है। इसका वाचन करते समय साधक ऊर्जावान हो उठता है।
गोस्वामी तुलसीदास जी रुद्रावतार श्री हनुमान जी से बल, बुद्धि और विद्या मांगते हैं। इसके साथ ही वे कहते हैं कि मेरे मन के सभी विकार दूर कीजिए। इस तरह वे कलुषित मनुष्य को मनोविकारों से दूर रखने हेतु श्री हनुमान जी से वरदान मांगते हैं। हिंदुस्तान की तत्कालीन पराजित जाति में आत्मगौरव का भाव जागृत करने का सर्वाधिक मुखर प्रयास गोस्वामी तुलसीदास का था। इसके साथ ही इस्लाम के प्रभाव को निस्तेज करने का प्रयास गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने काव्य से किया। भक्ति आदमी को जीने की राह दिखाती है। वह निष्कपट होती है। यह अकारण नहीं है कि सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में योद्धाओं में श्री हनुमान चालीसा ने आत्मगौरव और साहस का भाव जागृत किया था।
गोस्वामी तुलसीदास सिर्फ भक्त और कवि ही नहीं थे बल्कि वे अपने युग के धार्मिक नेतृत्व कर्ता थे। जितने भी तरह से तत्कालीन ऐतिहासिक शासन सत्ता का प्रतिरोध वे कर सकते थे उन्होंने किया। काव्य तो बस एक माध्यम भर था। ऐतिहासिक कथा है कि एक बार अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी के अभियान को देखकर उन्हें अपने दरबार में बुलाया। अकबर ने तुलसीदास से कहा कि अपने श्रीराम से मिलवाओ। इस पर गोस्वामी तुलसीदास ने कहा कि वे सिर्फ अपने भक्तों को ही दर्शन देते हैं। इस पर अकबर क्रुद्ध हुए और गोस्वामी तुलसीदास को फतेहपुर सीकरी के कारागार में बंद करवा दिया। इसके बाद बड़ी संख्या में बंदरों ने फतेह पर सीकरी को घेर लिया। गोस्वामी तुलसीदास के लिए बंदरों को श्री हनुमान जी ने भेजा था। फिर इस स्थिति से निपटने के लिए अकबर बादशाह को गोस्वामी तुलसीदास को जेल से मुक्त करवाना पड़ा। इसके बाद बंदरों ने भी घेराव समाप्त किया। आज 2023 में ये ऐतिहासिक तथ्य हम लोगों को कल्पना प्रतीत हो सकती हैं किंतु आज भी अयोध्या धाम में आप श्री हनुमान भक्त बंदरों की सांगठनिक एकता को देख सकते हैं। श्री हनुमान जी की अपने ऊपर कृपा देख गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा का प्रणयन किया।
लेखक विनय कांत मिश्र/

 

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