राम-सीता विवाह प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

गोरखपुर। गोला क्षेत्र के पोखरीगांव में चल रहे श्री श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के छठे दिन कथावाचक हरिनारायनाचार्य जी महाराज ने श्रीराम-सीता के विवाह का प्रसंग सुनाकर भावविभोर किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम-लक्षमण अपने गुरू विश्वामित्र के साथ सीता स्वयंवर में भाग लेने के लिये जनकपुरी पहुंचे। यहां भगवान राम की माता सीता से पुष्प वाटिका में भेंट होती है। दोनों एक-दूसरे को निहारते और मंद-मंद मुस्कुराते हैं। मां सीता मंदिर में जाकर सखियों के साथ गौरी पूजन कर भगवान राम को अपने मन मंदिर में विराजित कर लेती हैं। न्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने पांच प्रकार की भक्ति का वर्णन किया है। चातक श्रेणी की भक्ति उत्तम मानी गई है। ये चातक श्रेणी की भक्ति है। दूसरी कोकिल जो प्रभु का गुणगान करने वाली भक्ति है। कीर माला रटने वाली चकोर दर्शन की अभिलाषी भक्ति है। मोर भक्ति वह है जिसमें भक्त आनंदमय होकर मोर की तरह मस्त होता है।उन्होंने भगवान लक्ष्मण परशुराम संवाद पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो अहंकार के वशीभूत हो जाता है वह सामने खड़े भगवान को भी नहीं पहचान पाता है। लेकिन भगवान स्वयं ही सामने आकर अपने भक्त के अंधकार रूपी अहंकार दूर करते हैं। कथा प्रसंग में महाराज श्री ने सीता स्वयंवर, विदाई और बनवास की मार्मिक लीला का वर्णन किया।इस मौके पर मुख्य यजमान जितेंद्र दुबे, केशव चन्द, संचिता चन्द, बीरबहादुर चन्द, बबलू गुप्ता, अनुराग पांडेय सहित श्रोता मौजूद रहे।