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भनवापुर :  प्राकृतिक खेती कर खेत की मिट्टी को सुधारें एवं गुणवत्ता युक्त अनाज प्राप्त करें

दैनिक बुद्ध का संदेश
भनवापुर। प्राकृतिक खेती कर खेत की मिट्टी को सुधारें एवं गुणवत्ता युक्त अनाज प्राप्त करें। प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते है, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में काम में लिया जाता है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहना से चलकर आए ग्राम परसपुर में प्राकृतिक खेती पर चर्चा करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि पिछले कई वर्षों से खेती में काफी नुकसान देखने को मिल रहा है।

इसका मुख्य कारण हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग है। इसमें लागत भी बढ़ रही है। कृषि वैज्ञानिक शेष नारायण सिंह ने बताया कि भूमि के प्राकृतिक स्वरूप में भी बदलाव हो रहे है जो काफी नुकसान भरे हो सकते हैं। रासायनिक खेती से प्रकृति में और मनुष्य के स्वास्थ्य में काफी गिरावट आई है। डॉ एस के मिश्रा ने बताया कि किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा उनके उर्वरक और कीटनाशक में ही चला जाता है। यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा या फायदा कमाना चाहता है तो उसे प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रेसर होना चाहिए।डॉ सरबजीत ने बताया कि खेती में खाने पीने की चीजे काफी उगाई जाती है जिसे हम उपयोग में लेते है। इन खाद्य पदार्थों में जिंक और आयरन जैसे कई सारे खनिज तत्व उपस्थित होते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती है। कार्यक्रम साहिका नीलम सिंह ने बताया रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से ये खाद्य पदार्थ अपनी गुणवत्ता खो देते है। जिससे हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। रंगीलाल बृजभूषण शरण प्रजापति राम बहादुर दिनेश यादव संगीता सुरेखा लक्ष्मी आज महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

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