सिद्धार्थनगर : कसौधन समिति ने महर्षि कश्यप के जन्मदिन पर निकाली भव्य रथयात्रा
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दैनिक बुद्ध का संदेश
सिद्धार्थनगर। सृष्टिकर्ता महर्षि कश्यप के के जन्मदिन पर कसौधन समिति जिला इकाई द्वारा गुरुवार को विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान जिला मुख्यालय पर भव्य रथयात्रा निकाली गई। रथ यात्रा के उपरांत देर शाम आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि समिति प्रांतीय अध्यक्ष पवन कसौधन ने बताया कि वैश्य समाज के आराध्य महर्षि कश्यप महाराज की जयंती वैसे जागृति के रूप में मनाया जाता है। कश्यप ऋषि ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक हैं और इनको सृष्टि का करता भी माना जाता है। समस्त वैश्य समाज के विकास एवं आध्यात्मिक चेतना जागृत करने के लिए यह जयंती मनाता है। उन्होंने बताया कि इसके पीछे का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि कैसे हम अपने समाज के लोगों को एक साथ एक मंच पर इकट्ठा करके समाज की एकरूपता और इसकी ताकत को लोगों के बीच में प्रदर्शित कर सकें।
इसके अतिरिक्त राजनीतिक चेतना जागृत करने के लिए भी आज के दिन सभी लोगों का आवाहन किया जाता है। वर्तमान समय में जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी के आधार पर राजनीतिक चेतना जागृत करने एवं राजनीतिक सशक्तिकरण का यह परिचायक भी है। उन्होंने बताया कि इसके माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियां जो भयावह रूप लेकर के सामने आकर खड़ी होती हैं, उनसे भी निपटने के लिए सामाजिक चेतना जागृत की जाती है। आज समाज की भागीदारी राजनीतिक रूप से बहुत कम है, इस भागीदारी को कैसे हम आगे बढ़ा करके एक राजनीतिक ताकत को प्राप्त कर सकें इसके लिए जयंती महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज मैं-मेरा-परिवार-मेरा घर व मेरी दुकान तक ही सीमित है और जब तक हम इससे आगे निकल कर के राष्ट्र की चेतना से अपने आप को सम्मिलित ना करेंगे, तब तक यह जागृति अभियान चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि आज के दिन के अवसर पर सभी भाइयों को एकजुट करना राजनीतिक जेल चेतना जागृत करना इसके साथ ही साथ सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना जागृत करना इस जयंती का परम लक्ष्य है और अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए हम लगातार इस कार्य को करते रहेंगे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा कि ब्रह्माजी से दक्ष प्रजापति का जन्म हुआ। ब्रह्माजी के निवेदन पर दक्ष प्रजापति ने अपनी पत्नी असिक्नी के गर्भ से 66 कन्याएँ पैदा की। इन कन्याओं में से 13 कन्याएँ ऋषि कश्यप की पत्नियाँ बनीं।यह एक गोत्र (ब्राह्मणों और कुछ अन्य समुदायों के बीच एक बहिर्विवाही समूह) के कुलदेवता नाम के रूप में इस्तेमाल किया गया था। यह एक प्रसिद्ध हिंदू ऋषि का नाम भी था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समिति के जिलाध्यक्ष भीमचन्द कसौधन ने कहा कि कश्यप गौत्र की शुरूआत कश्यप ऋषि से हुई है। कार्यक्रम में आये अतिथियों व सजातीय लोगों का आभार व्यक्त करते हुए महामंत्री अजय कसौधन ने बताया कि कसौधन कश्मीर क्षेत्र का समृद्ध एवं शिक्षित वर्ग था, परन्तु कुछ कारणवश इन्हें कश्मीर से पलायन करना पड़ा। लगभग 15-16वीं शताब्दी में जम्मू कश्मीर में मुगल शासकों के उत्पीड़न के कारण इन लोगों ने उसकी अधीन न रहकर वहाँ से पलायन करना उचित समझा। इसके बाद ये उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में वस गये। कार्यक्रम को नपाध्यक्ष श्यामबिहारी जायसवाल, नपं अध्यक्ष शोहरतगढ़ बबिता कसौधन, हियुवा जिलाध्यक्ष रमेश गुप्ता सहित अन्य ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन वैष्णवी कसौधन द्वारा किया गया। इस अवसर पर संजय कसौधन, विनोद कसौधन, जगदीश कसौधन, कुसुम कसौधन, लक्ष्मीनरायन, नन्दकिशोर, ओमप्रकाश, रणजीत कसौधन, शिवकुमार, मिठ्ठू लाल, बैजनाथ कसौधन सहित सैकड़ों लीग उपस्थित रहे।