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सिद्धार्थनगर : दो खबर नॉर्मल, विद्यालय का निरीक्षण और 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों का विलय-सुरेद्र गुप्ता

दैनिक बुद्ध का सन्देश
सिद्धार्थनगर। इस समय प्रतिदिन दो खबर नॉर्मल हो गई है, विद्यालय का निरीक्षण और 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों का विलय। पहली वाली खबर में ये रहता है कि अधिकारी पहुंचे तो एक शिक्षामित्र या शिक्षक देर से पहुंचा, शौचालय गंदा था, छात्र उपस्थिति कम थी, जर्जर भवन की फोटो के साथ नीचे चटाई पर बैठे हुए बच्चे भी फोटो में छप जाते हैं। शिक्षक के देर से आने पर स्पष्टीकरण जारी होता है, वेतन रुकता है, निलंबन होता है, संतोषजनक जवाब मिलने पर शिक्षक का वेतन या निलंबन बहाल होता है ,लेकिन बहाली की खबर नहीं छपती ।शौचालय गंदा मिलने पर सफाईकर्मी जिम्मेदार है, शिक्षक नहीं।छात्र उपस्थिति के लिए अभिभावक जिम्मेदार है, इसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से किया जा सकता है। जर्जर भवन और सीट बेंच न होने के लिए विभाग जिम्मेदार है, बजट विभाग ही देगा।लेकिन छवि खराब हुई शिक्षक की और विद्यालय की।

जब सब नकारात्मक ही मीडिया द्वारा दिखाया जायेगा और अधिकारी भी बस नकारात्मकता को ही दर्शाएंगे तो आम जनमानस का विश्वास सरकारी विद्यालयों पर कैसे बनेगा।क्यों वो अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में भेजेंगे। छात्र संख्या घटेगी ही। दूसरी तरफ निजी विद्यालयों की प्रतिस्पर्धा के कारण बच्चे घर से ही तीन वर्ष के होते होते, प्राइवेट स्कूल में दाखिला करा लेते हैं, बालवाटिका अभी सरकारी विद्यालयों से कोसों दूर है, ये केवल संकल्पना ही है। सरकारी विद्यालयों में मानक के अनुसार 6 वर्ष की आयु से कम के छात्रों का एडमिशन नहीं होता। दूसरी तरफ जो खबर प्रतिदिन आ रही है वो है 50 से कम छात्रों वाले विद्यालयों का विलय होगा, कारण ऊपर लिखा है, उस कारण को खत्म करिए। गांव गांव विद्यालय की संकल्पना को साकार रहने दीजिए, ये बेहद गरीब और वंचित वर्ग के हैं इन्हें भी अपने घर के आस पास पढ़ लेने दीजिए,हो सकता है कुछ अच्छे निकल जाएं, देश को आगे ले जाएं।

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