अम्बेडकरनगर : आज भी शहर की दुकानों में नही है अग्निशमन यंत्र
मुख्य बाजार में दमकल का पहुंचना होता है मुश्किल
दैनिक बुद्ध का संदेश
अम्बेडकरनगर। शहर का बाजार इन दिनों गर्म जोश पर है। आत्म निर्भर बनने के लिए युवा और प्रशिक्षत लोग नई-नई दुकानें के साथ शोरुम बना रहे है। यह व्यवसाय मुख्य सड़कों पर नहीं शहर की सकरी गलियां और मंजिलों पर खोले रहे है। जहां अगर आग जैसी घटना घटित होती है तो वहां फायर बिग्रेड का पहुंचना मुश्किल रहता है। इसके साथ ही रहवासी क्षेत्रों में रबर सामग्री के साथ अन्य सामान के गोदाम बनाए हुए है। जो दुर्घटनाओं से कम नहीं है। ऐसे स्थानों पर अग्नि शमन यंत्र भी नहीं है। शहर के शहजादपुर स्थित कई वार्ड ऐसे है जो पूरी तरह से गोदाम के रूप में इस्तेमाल किए जाते है इन सबके साथ अन्य दर्जनों गलियां है। जहां पर सबसे अधिक दुकानें खोली जा रही है। जिसमें प्लास्टिक, रबर और पन्नी जैसी सामग्री को बेचा जा रहा है। जहां पर फायर बिग्रेड मशीनों का पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुकिन रहता है। इसके साथ ही वहीं पर बड़े.बड़े गोदाम बनाए गए है। जो दुर्घटनाओं को संकेत दे रहे है। सकरी गलियों में संचालित 98 फीसदी दुकानों को आग जैसी दुर्घटनाओं को कंट्रोल करने के लिए अग्नि शमन यंत्र नहीं है।
लेकिन उन दुकानों में करोड़ों की सामग्री रखी हुई है। कई कोचिंग संस्थान, प्राइवेट अस्पताल में अग्निशमन यंत्र, फायर फाइटिंग सिस्टम ही नहीं मीडिया ने पड़ताल में पाया कि शहर के कई निजी शिक्षण संस्थानों एवं मॉल सहित प्राइवेट अस्पतालों में अग्निशमन यंत्र लगे हुए हैं, लेकिन इन अग्निशमन यंत्रों की जांच करने वाला फायर अधिकारी बीते करीब एक साल से शहर सहित जिलेभर में कोई कार्रवाई नहीं की है। जिला मुख्यालय पर जिन कार्यालयों में सैकड़ों लोगों का आना-जाना लगा रहता है वहां अग्निशमन यंत्र या फायर फाइटिंग सिस्टम अपडेट रहना चाहिए, लेकिन नियमित जांच नहीं होने से अधिकांश जगहों पर अग्निशमन यंत्र शोपीस बने हैं। हैरानी की बात यह भी सामने आई है कि शहर के कई बड़े कोचिंग संस्थान, प्राइवेट अस्पताल और कार्यालयों में अग्निशमन यंत्र नहीं लगे हैं और ना ही कोई फायर फाइटिंग सिस्टम। आम जनमानस में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि कहीं विभागीय कर्मचारी अपने निजी स्वार्थ में तो लिप्त नहीं है।