बलरामपुर: किसान भाई को चूहों एवं छछुन्दर पर प्रभावी नियंत्रण के लिये दिशा-निर्देश
दैनिक बुद्ध का संदेश
बलरामपुर। कृषि रक्षा अधिकारी डा0 इन्द्रेषु कुमार गौतम ने किसान भाइयों के साथ ही उर्वरक, बीज, कीटनाशक विक्रेताओं, एग्रीजंक्शन स्कीम के अन्तर्गत कृषि इनपुट उपलब्ध कराने वाले विक्रेताओं, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों, सहकारी समितियों आदि को सूचित करते हुये बताया कि संचारी रोग अभियान का द्वितीय चरण 01 जुलाई से 31 जुलाई तक चल रहा है जिसके अन्तर्गत संचारी रोगों के प्रसार के लिए अन्य कारकों के साथ चूहा एवं छदून्दर का भी प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि चूहों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अन्य भण्डारण पक्का, कंकरीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिए ताकि उनको भाज्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध न हो सकें। चूहें अपना बिल झाड़ियों, कूड़ो एवं मेड़ों आदि में स्थाई रूप से बनाते है समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ-सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। चूहों को प्राकृति शत्रुओं बिल्ली, सॉप, उल्लू, लोमड़ी, बाज एवं चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनको संरक्षण संरक्षण देने से चूहों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। चूहें दानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे- रोटी, बिस्कीट आदि रख कर चूहों को फसाकर मार देने से उनकी संख्या निंयत्रित की जा सकती है। घरों में ब्रोमोडियोलान 0.005 प्रतिशत् के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येेक जिन्दा बिल में रखने से चूहे उसको खाकर मर जाते है। एल्यूमिनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर बिल बन्द कर देने से उससे निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहे मर जाते है। उन्होंने कहा कि प्रथम दिन आवसीय घरों एवं आस-पास के क्षेत्रों का निरीक्षण एवं बिलों को बन्द करते हुये चिहिन्त करें। दूसरे दिन निरीक्षण कर जो बिल बन्द हो वहां चिन्ह मिटा दें, जहां पर बिल खुले पाये वहां चिन्ह रहने दें। खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48 भाग भुने दाने का चारा बिना चहर मिलाये बिल में रखे। तीसरे दिन बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखें। चौथे दिन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत् की 1.0 ग्राम मात्रा को 1.0 ग्राम सरसों का तेल एवं 48 ग्राम भुने दाने में बनाये गये चारें को बिल में रखें। पांचवे दिन बिलों का निरीक्षण करें एवं मरे हुये चूहों को जमीन में गाड़ दें। छठे दिन बिलों का पुनः बन्द कर दें तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाये तो पुनः उस प्रक्रिया को अपनाएं।