गोंडा : खरगूपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सैया भये कोतवाल तब डर काहे का
दैनिक बुद्ध का सन्देश
गोंडा। ये बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुपईडीह खरगूपुर के अंतर्गत पनपने वाले समस्त झोला छाप डॉक्टरों पर सटीक बैठती है। रुपईडीह और खरगूपुर के क्षेत्र में सैकड़ो की संख्या में झोला छाप डॉक्टरों ने अपनी दुकान खोल रखी है जिसपर यहां की अधीक्षक डॉ श्वेता त्रिपाठी का विशेष रहमोकरम है जिसके कारण ये सभी झोला छाप बिना किसी भय के अपनी दुकान दारी चला कर यहां के मरीज़ों के स्वास्थ्य के।साथ खिलवाड़ करते हुए अपनी जेब भरने का कार्य कर रहे है।
गौरतलब है कि विसुना पुर के डॉ अजमल का वीडियो वायरल होने के बाद जिलाधिकारी महोदय के द्वारा सघन अभियान चला कर कार्यवाही करने की बात की गई थी जिसके अनुपालन में दो चार दिन के लिए ही सही किन्तु टीम बनाकर तत्कालीन अधीक्षक डॉ अजय यादव के द्वारा जांच अभियान चलाया गया था किंतु शायद ये बात झोला छाप को संरक्षण देने वालो को नागांवर गुजरी और डॉ अजय यादव को अधीक्षक पद से हटा दिया गया ,जिसके बाद डॉ श्वेता त्रिपाठी को अधीक्षक बना दिया गया ।जब से ये महोदया अधीक्षक की कुर्सी पर विराजमान हुई तब से झोला छाप की चांदी हो गयी। जो जांच अभियान चलाया जा रहा था उसमें मिले सभी दोषियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की गई और सघन जांच अभियान को भी बंद कर दिया गया। अब हालात ये है कि डॉक्टर श्वेता त्रिपाठी के चेले सिर्फ झोलाछाप लोगो से वसूली का कार्य करने में लिप्त हो चुके है जिसके कारण अब झोलाछाप बिना किसी डर व भय के अपनी दुकान संचालित कर रहे है। ताज़ा मामला खरगूपुर का है जहाँ पर अवैध रूप से संचालित अजहरी हॉस्पिटल पुरानी बाजार खरगूपुर जिसका कोई पंजीकरण तक नही है ।वहां दिनांक 28 मार्च 2023 को संगीता सोनी का सिजेरियन ऑपरेशन किया गया जहां बच्चे की मृत्यु हो गयी। जब प्रसूता के घर वालो ने इसकी शिकायत डॉ श्वेता त्रिपाठी से की तो उन्होंने कोई कार्यवाही न करते हुए उल्टा परिजनों पर ही दोष मढ़ दिया कि आप लोग स्वयं से ही लेके गए थे,इसलिए जिम्मेदारी आपकी ही है। सोचने वाली बात ये है कि एक तो डॉ श्वेता त्रिपाठी के कार्यक्षेत्र में अवैध रूप से नर्सिंग होम का संचालन हो रहा था ,उसपर कोई कार्यवाही न करते हुए उलटा उसे संरक्षण दिया जा रहा ह। आखिर इतनी मेहरबानी की कोई कीमत तो जरूर होगी स्वास्थ विभाग के अधिकारियों द्वारा इस प्रकार से अवैध नर्सिंग होम व झोला छाप डॉक्टरों को संरक्षण देने कोई नई बात नही है ।डॉ श्वेता त्रिपाठी के अधीक्षक बनने के बाद से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरगूपुर का भी हाल बहुत खराब हो चुका है,प्रसव के लिए आने वाले प्रसूताओं से इनके द्वारा प्रसव केंद्र की इंचार्ज मंजू शुक्ला के द्वारा 2000 रुपया लिए बिना प्रसव नही कराया जाता है। शिकायत होने पर डॉ श्वेता मंजू शुक्ला की भी पैरवी करती है। भगवान ही बचाये ऐसे अधीक्षक के क्षेत्र वासियों को।