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……………………………….कविता……………………………………..
अमृता शर्मा/दैनिक बुद्ध को संदेश
ए बारिश तू इतना गुमसुम क्यों है,
ज़िद कर बैठा है न बरसने की, या नाराज़गी दिखा रहा।
बरस भी जा रिमझिम करके क्यों इतना सता रहा।
ए बारिश तू इतना गुमसुम क्यों है
कुछ तो वजह है तेरे छिपने की,
कुछ तो वजह है तेरे रूठने की।
मिट्टी से रूठा है,या आसमां से शर्त लगाए बैठा है।
क्यों भुला फूलों से नाता है,जो हर सावन में रिमझिम बरस जाता है।
न इतना अब इतरा तू,खुलकर बरस जा तू।