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सिद्धार्थनगर : सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के चेहरे खिले,तो पिछड़ी हुए उदास

राजेश शर्मा/दैनिक बुद्ध का संदेश
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनाव को लेकर कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से जहां सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है तो वही उनके चेहरे पर भी चमक है लेकिन आरक्षण खत्म होने से ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार मायूस नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि जनपद के 11 नगर निकायों में लगभग सभी सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार मजबूती से अपने आपको अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी ठोक रहे थे लेकिन कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण खत्म किए जाने से उनके चेहरे उदास हो गए हैं और उनके समर्थक भी अब थक कर बैठ गए हैं। लेकिन वर्षों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को कोर्ट ने मानो जान डाल दिया हो सभी सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के चेहरे पर चमक एंव खुशी देखी जा रही है।

सभी 11 नगर निकायों में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार अपने आप को मजबूती से अध्यक्ष पद के दावेदार के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कमर कस रहे हैं यही हालत लगभग नगर पालिका के वार्डओ के सभासद प्रत्याशियों की भी है। जहां भी सामान्य वर्ग को मौका नहीं मिला था अब उन्हें मौका मिला है। तो उसे हाथ से जाने देना नहीं चाहते हैं वैसे देखा जाए तो लगभग सभी वर्गों में आरक्षण को खत्म करने की चाह नजर आ रही है। यही कारण है कि किसी भी उम्मीदवार द्वारा कोर्ट के ऊपर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की गई है हर कोई चाहता है। कि चुनाव मैदान खुला होना चाहिए जो भी चुनाव लड़ना चाहे स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार के रूप में चुनाव लड़ सकता है। जिसे भी जनता पसंद करेगी वह उनका नेतृत्व करेगा होना भी यही चाहिए आखिर कब तक सरकारे पिछड़ी, अनुसूचित, अन ुजनजाति एवं सामान्य वर्ग को लेकर आरक्षण का खेल खेलेंगे इसे एक ना एक दिन बंद होना ही है। अब कोर्ट ने पहल किया है तो इसकी सराहना लगभग सभी बुद्धिजीवी वर्ग कर रहे हैं। फिर भी योगी सरकार जैसा कि अपने बयानों में गंभीर नजर आ रही है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर वह मामले को आगे ले जाएगी और बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं करवाएगी यदि ऐसा सरकार करती है। तो सामान्य वर्ग के आक्रोश का सामना उन्हें आने वाले लोकसभा चुनाव में करना पड़ सकता है सूत्रों की माने तो सरकार सामान्य वर्ग को नाराज भी नहीं करना चाहती है और कोर्ट के फैसले पर ही चुनाव करवा सकती है यदि चुनाव कोर्ट के फैसले पर नहीं होता है तो भाजपा के लिए दिल्ली दूर तो ना सही लेकिन चलना तो पड़ेगा ही अब देखना है। कि जनपद के सामान्य वर्ग के उम्मीदवार कहां तक अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं और कितने लोग अपने-अपने पार्टी से टिकट ले सकते हैं सबसे ज्यादा खुशी सदर सीट पर है। जहां सूत्रों की मानें तो भाजपा के बड़े नेता की पत्नी जो कि ओबीसी वर्ग से आते हैं को भाजपा का टिकट मिलने की उम्मीद लगभग तय थी लेकिन कोर्ट के फैसले ने शायद उन्हें भी निराश किया होगा, अब सामान्य के उम्मीदवार लड़ेंगे इस कारण से जो भी प्रत्याशी सामान्य वर्ग के मैदान में है वह टिकट के लिए पूरी जी जान लगा रहे हैं। माना जा रहा है कि जो प्रत्याशी भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ेगा वही मैदान में सफल हो सकता है अब देखना है कौन भाजपा को अपनी तरफ आकर्षित करके टिकट लेने में कामयाब हो सकते हैं।

 

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