कवि गोष्ठी का हुआ आयोजन , प्रभात चंदेल ने वीर रस की रचना शहीदों को नमन कर सुनाये ,। हम हड्डियों से बज्र का निर्माण करते है,,,,,,शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के तत्वावधान मे कवि जैराम सोनी के आवास रावर्टसगंज, मे कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अजयशेखर ने किया।संचालन दिलीप सिंह दीपक ने किया। मा शारदे की वंदना सरोजकुमार सिंह ने करते हुए ,,,मा भारती मा भारती हम करें तेरी आरती सुनाकर मा को नमन किए। ईश्वर विरागी ने,,,,कितने दिन आंगन आंगन पीडा के बादल बरसेगा,,,,,,सुनाकर त्रासदी का रेखांकन किए। प्रदुम्न त्रिपाठीएड ने ,,,,पीर पर्वत हुई तन विकल,,,,गीत का तब हुआ है सृजन,,,,,सुनाकर कविता के उद्भव को बताया।सुधाकर पांडेय स्वदेश प्रेम ने हास्य व्यंग्य रचना,,,,,लालू कहलें अरे नीति नीतिसवा निअराइल चौबीस,,,,,,,काफी सराही गई। प्रभात चंदेल ने वीर रस की रचना शहीदों को नमन कर सुनाये,,,जब शहीद का शव आया,,,,राष्ट्रीय ता को समर्पित थी ।विकास वर्मा ने,,,,नफरत के बीज बोकर वह फलता गया,,,,गंभीर रचना ने संवेदनशील ता को पंख लगा दी।रामनाथ शिवेंद्र वरिष्ठ साहित्यकार ने,,,सदभाव की उत्कृष्ट पंक्ति,,,,हमे रोटियां ही दीजिए बहुत भूख लगी है,,,दे रहे हैं गीता कुरान किसलिए,,,, सुनाकर,,,,,,लोगों को सोचने पर बिबस कर दिए। लोकभाषा के श्रेष्ठ कवि जगदीश पंथी ने,,,,शहर शहर टहर टहर देख लिया,,,,सुनकर लोग भाव विभोर हो गये।बृजमोहन त्रिपाठीएड ने,,,,उठ तमक तान अंबे त्रिशूल,सुनाकर भक्तिभाव का समर्पण किया ।कवयित्री कौशिल्या चौहान ने,,,,मुझको अबला मत समझो मैं झांसी वाली रानी हूं,,,,सुनाकर नारी शक्ति को मुखर स्वर देकर ओज का संचरण की।कमलनयन त्रिपाठी की शायरी,,दस्त मे हम शराबियों का शराब छूटे,,दयानंद दयालु ,,,ने विधवा की पीडा तथा जैराम सोनी ने ,,,,शक्ती सर खूब ठूस,,,,,,,सुनाकर अन्तर्मन को झकझोर दिया ।आयोजन देर शाम तक चलता रहा।सभी कवियों को अंग वस्त्र लेखनी पुस्तिका माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया।नई बस्ती गुलाबी भवन मे उक्त आयोजन मे बेदमणि त्रिपाठी, सोनू, रिषभ शिखा, आत्मप्रकाश त्रिपाठीएड, अशोक तिवारी, दिव्या राय, जय श्री राय, राकेश राय आदि रहे। ।