बलरामपुर : तराई क्षेत्र में समूह की महिलाओं द्वारा बनाया जा रहा गोबर से रंग बिरंगे दिया
दैनिक बुद्ध का संदेश
बलरामपुर। विकास खंड तुलसीपुर अन्तर्गत तराई क्षेत्र के कनहरा गांव मे इस बार दीपावली पर मिट्टी के स्थान पर गोबर से बने हर्बल दीये से घर-आंगन रोशन होंगे.धार्मिक रूप से पवित्र माने जाने वाले गाय के गोबर से बने हर्बल दीपक बनाने में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं जुट गई हैं। गोबर से बनाए गए दीपक से निकलने वाली रोशनी जीवन में समृद्धि का उजाला लाएगी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की तरफ से समूह की महिलाओं को गोबर से दीपक बनाने के लिए विशेष तौर प्रशिक्षित किया गया है.समूह की महिलाओं को आवश्यक सामग्री भी मुहैया कराई जा रही है।इसके तहत तुलसीपुर के तीन गांवों में 20 समूह की महिलाएं दीपक बनाने में जुटी हुई हैं।इसके अलावा गैसड़ी.पचपेड़वा व रेहरा बाजार में भी दस-दस महिलाओं को भी गोबर से दीपक तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस तरह तैयार होता है गोबर का दीया एनआरएलएम के जिला मिशन प्रबंधक अखिलेश मौर्य ने बताया कि दीया बनाने के लिए गोबर को पहले सुखाकर पाउडर बनाया जाता है.इसके बाद गोबर के पाउडर में प्रीमिक्स पाउडर व मिट्टी मिलाकर इसे गूंथकर दीपक का आकार दिया जाता है।एक किलो गोबर के पाउडर में सौ ग्राम प्रीमिक्स पाउडर मिलाया जाता है। दीपक को सूखने के बाद समूह की महिलाएं इसको सुंदर बनाने के लिए पेंटिंग भी करेंगी।समूह की महिलाएं छोटे-बड़े सभी तरह के दीपक बिक्री के लिए तैयार कर रही हैं। इस बार दीपावली पर सरकारी भवनों में रोशनी के लिए भी इन दीपकों को बेचा जाएगा।दीयों को आकर्षण बनाने में जुटी महिलाएं तुलसीपुर के शिवानगर, कनहरा व रमईडीह गांव में चार-चार समूह की महिलाएं गोबर व मिट्टी के दीपक तैयार कर रही हैं। महिलाएं दीपक को सजाने के लिए उस पर विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाकर उन्हें स्वरूप देने में जुटी हैं। कनहरा की समूह सदस्य गायत्री,कस्तूरी व गीता देवी ने बताया कि एनआरएलएम की मदद से वह लोग आकर्षण पेंटिंग करके दीपक तैयार कर रही हैं। दीपक बेचने पर दीपावली पर कुछ मदद मिल जाएगी। बताया कि उन्हें दीया सप्लाई करने का ऑर्डर भी मिल रहा है। अभी तक पांच सौ दीये तैयार कर उन पर पेंटिंग बनाई जा चुकी है। सात छोटे दीये व एक बड़े दीये का सेट तैयार कर उसे बेचा जाएगा। इसकी कीमत 40 रुपये रखी गई है।बिक्री के लिए लगेंगे स्टॉल समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए दीयों की बिक्री के लिए जनपद स्तर पर स्टॉल भी लगवाए जाएंगे। विकास भवन के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी समूह की महिलाओं द्वारा हाथ से तैयार किए गए दीपक खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे महिलाओं के ज्यादा से ज्यादा उत्पाद बिक सकें।