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अंबेडकरनगर : गुनाहों से सने हाथ की-बोर्ड पर लिखेंगे सुनहरा भविष्य

दैनिक बुद्ध का संदेश
अंबेडकरनगर। जो हाथ गुनाहों से सने हुए थे अब वह कंप्टयूर के की-बोर्ड पर सुनहरे भविष्य की गाथा लिखेंगे। जिला जेल में बंद कैदियों को हाईटेक बनाने की कवायद की जा रही है। उन्हें इतना काबिल बनाया जाएगा कि जेल से बाहर निकलने के बाद वह अच्छी नौकरी करके स्वावलंबी बन सकें। बंदियों को अपराध से निकालकर कौशल विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास में जेल प्रशासन तेजी से जुटा हुआ है। जल्द ही बंदियों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग देकर दक्ष किया जाएगा। जिला जेल में इन दिनों 500 से अधिक बंदी निरुद्ध हैं, इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। जेल प्रशासन बंदियों को कौशल विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास में जुटा हुआ है। बंदियों को कंप्यूटर ट्रेनिंग कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। वैसे तो जेल में महिला बंदियों के लिए समय-समय पर सिलाई, कढ़ाई व बुनाई के साथ अन्य प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं। पुरुष बंदियों के लिए इस प्रकार के प्रशिक्षण नहीं होते थे। अब बंदियों के लिए कंप्यूटर ट्रेनिंग के साथ और भी अन्य कई प्रशिक्षण दिए जाऐगें।

पहले चरण में बंदियों की कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जाएगी। लखनऊ के तकनीकी एवं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ने जेल के बंदियों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग देने का फैसला लिया है। इस संस्था की ओर से जेल को जहां दो नए कंप्यूटर उपलब्ध कराएं गए हैं, वहीं कंप्यूटर सिखाने के लिए एक ट्रेनर भी दिया गया है। संस्था का उद्देश्य बंदियों को तकनीकी ज्ञान प्रदान करने के साथ शिक्षित भी करना है, जिससे उनका मानसिक एवं बौद्धिक विकास भी हो सके। जेल में रहते हुए बंदियों से व्यावसायिक कार्य कराना है, जिससे उनके निरपराध आश्रितों का भरण पोषण सुगमता से हो सके तथा जेल से निकलने के बाद उनके पास स्वरोजगार प्राप्त करने के पर्याप्त अवसर भी रहें। बंदियों को मिलेंगे ये प्रशिक्षण जेल के बंदियों को जहां प्रथम चरण में कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं आने वाले समय में और भी कई व्यवसायिक प्रशिक्षण दिए जाऐंगे। जिससे बंदी जेल से निकलने के बाद स्वरोजगार प्राप्त कर सकें। बंदियों के लिए वेब डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट आदि कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाएगा। लाइब्रेरी से लगाए जा रहे कंप्यूटर शासन ने 30 बंदियों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिलाने के लिए सूची मांगी है। इसके लिए जेल की लाइब्रेरी में कंप्यूटर लगाए जा रहे हैं। प्रशिक्षण के बाद बंदी आत्मनिर्भर बन सकेंगे और जेल से रिहा होने के बाद अपने इस हुनर के बल पर कहीं पर भी रोजगार पा सकेंगे। जो बंदी साक्षर हैं उन्हें ही कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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