अम्बेडकरनगर : जनपद में इंस्पेक्टरों की भरमार फिर भी थाना इंचार्ज का चार्ज नहीं
दैनिक बुद्ध का संदेश
अम्बेडकरनगर। हर विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार करना अपना अधिकार समझते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे विभाग भी हैं जिनके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता कि वह भी इस बुराई में पूरी तरह संलिप्त हो सकते हैं। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार छुपा हुआ रहता है तथा पता होने पर भी न तो मीडिया और न ही बुद्धिजीवी नागरिक कोई उंगली उठा सकते हैं क्योंकि कोई भी अवमानना के पचड़े में नहीं फंसना चाहता। ऐसे में जनपद के इस 13 थानों को सब इंस्पेक्टर चला रहे हैं। ऐसा नहीं है कि जनपद में इंस्पेक्टर की कमी है, लेकिन इनकी पदस्थापना नहीं हो रही है, इंस्पेक्टर और कार्यवाहक इंस्पेक्टर को मौखिक आदेश पर साइबर क्राइम और क्राइम ब्रांच के अलावा अन्य जगह कार्य हेतु लगाया गया है। जानकारी के मुताबिक, जिले में 19 थाने हैं परंतु 6 थानों पर इंस्पेक्टर की तैनाती है और तेरह थाने सब इंस्पेक्टर चला रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने चार दिन पहले पूरे प्रदेश के एसएसपी के साथ कानून व्यवस्था संबंधित बैठक की थी। बैठक के दौरान सीएम ने निर्देश दिए थे कि अपने अपने जिले की तेज तर्रार इंस्पेक्टर को थाने की अहम जिम्मेदारी दें। जबकि पुलिसिंग के असली मकसद में कामयाब होने के लिए अधिकारियों को एक रोल मॉडल की तरह काम करने की जरूरत है। कानून ने पुलिस को इतनी शक्तियां प्रदान की हैं कि इनके सदुपयोग करने पर बड़े से बड़े भ्रष्ट बाहुबली या किसी भी विभाग में शीर्ष स्थानों पर बैठे कर्मचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचा सकते है। लोगों का कहना है कि जनपद में कुछ इससे हटकर चल रहा है। लोगों द्वारा यह भी कहते हुए सुना गया कि जब जिले में इंस्पेक्टर की संख्या पर्याप्त मात्रा में है तो इनकी तैनाती थानों पर क्यों नहीं की जाती, आम जनमानस में यह चर्चा का विषय बना हुआ है की कुछ राजनीतिक लोगों का दबाव बनाकर लोगों ने थाने की कमान ले रखी है। अब देखना यह है कि पुलिस अधीक्षक मुख्यमंत्री के द्वारा दिए गए निर्देश पर क्या कदम उठाते हैं।