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बहराइच

पर्यावरण संरक्षण समिति द्वारा पटेल पार्क बहराइच में पर्यावरण संगोष्ठी अध्यक्ष रमेश चंद्र के नेतृत्व में की गई आयोजित

दैनिक बुद्ध का सन्देश ( शास्त्र तिवारी )

बहराइच | विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण सोसाइटी द्वारा पटेल पार्क बहराइच मे पर्यावरण संगोष्ठी आयोजित की गई ; जिसकी अध्यक्षता पर्यावरणविद् रमेश चन्द्रा ने की। आकांक्षा यादव जिला भूमि संरक्षण अधिकारी बहराइच मुख्य अतिथि थी। संगोष्ठी का संचालन रक्षा राम ने किया। पर्यावरण दिवस पर छायादार पेड़ो के 500 पौधे किसानों,नगरवासियों को वितरित किये गये। पर्यावरण संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि बढ़ते हुए तापमान को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति 10 पौधे रोपित एवं संरक्षित करे तभी जलवायु परिवर्तन का संतुलन बनाया जा सकता है। वातावरण मे कार्बन गैस बढ़ रही है जिससे तापमान बढ़ रहा है आक्सीजन की घटती हुई मात्रा चिंताजनक है इसलिए प्राणवायु बढ़ाने के लिए पौधरोपण एवं पौधों का सरंक्षण करके ही बढ़ाया जा सकता है।
संगोष्ठी का शुभारम्भ वरिष्ठ साहित्यकार सुंदर लाल बौद्ध ने पर्यावरण कविता सुनाकर किया गया। आकांक्षा यादव ने आम्बेडकर की प्रतिमा एवं पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके अम्बेडकर पार्क मे पीपल एव सागौन के पौधे लगाये तथा पटेल पार्क मे गुलमोहर एव गुलाब के पौधे रोपित किए।इस अवसर पर सोसाइटी की सचिव पुष्पा रानी ,स्नेहलता आजाद,भीम सिंह आजाद,रवि रमन देव एडवोकेट,भीम सिंह एडवोकेट,सतई राम, अभिषेक गौतम ,दिनेश भार्गव,रक्षाराम,उपेन्द्र यादव अभियंता जल संसाधन भूमि संरक्षण बहराइच,संजय जायसवाल,मान प्रताप यादव,बाबूलाल,रमन मिश्रा आदि उपस्थित रहे। संगोष्ठी के समापन अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण मे सम्बोधित करते हुए पर्यावरणविदृ रमेश चन्द्रा ने कहा कि बढते हुए तापमान को नियंत्रित करने के लिए पौधरोपण आवश्यक है पौधों का संरक्षण करते रहने से ही हरियाली को बढ़ाया जा सकता है हमारे देश मे प्रत्येक व्यक्ति के औसत मे 32 पेड़ बचे हैं जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति 422 पेड़ होने चाहिए जबकि भारत मे प्रति औसत व्यक्ति 400 पेड़ रोपित होना अनिवार्य है तभी 50 डिग्री सेल्सियस ताफमान को 32 या 35 डिग्री सेल्सियस पर नियंत्रित किया जा सकता है इसके लिए अधिक से अधिक पौधे रोपित करने का अभियान चलाये जाने की आवश्यकता है। सोसाइटी के सभी सदस्यों,किसानों,नगरवासियों,अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए सूक्ष्म जलपान के साथ संगोष्ठी का समापन किया गया।

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