सिद्धार्थनगर : यज्ञ से मन मस्तिष्क और वातावरण दोनों होता है शुद्ध
दैनिक बुद्ध का सन्देश
खुनुवां/सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ कस्बे में स्थित डोई शिव मंदिर पर बनबाबा की तपोस्थली पर चल रहे श्रीराम चरित्र मानस महायज्ञ के चौथे दिन आचार्य शशिकांत शुक्ला ने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति प्रसंग पर कथा सुनाते हुए कहा कि स्वयं नारायण यज्ञ कर आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त की थी। सभी देवी देवताओं व ऋषियों ने लोक कल्याण के लिए यज्ञ किया था।
हर मानव को अपने सामर्थ्य के अनुसार सनातन धर्म की रक्षा व लोक कल्याण के लिए यज्ञ अवश्य करवाना चाहिए। यज्ञ के आयोजन होने से आपस में वैमनस्यता खत्म होती है और आपस मे प्रेम की सदभावना जागृत होती है। और यज्ञ में दी गयी आहुतियां स्वयं नरायण ग्रहण करते है। यज्ञ करने से मन और मस्तिक में भरें बुराइयों को नष्ट कर आध्यात्मिक की तरफ ले जाता है। हों रहे श्रीराम चरित्र मानस महायज्ञ के आस पास के क्षेत्र का वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। इस अवसर पर राम मिलन चौधरी, नन्हें द्विवेदी, गुड्डू पाण्डेय, श्याम बाबा, गंगाधर द्धिवेदी आदि लोग मौजूद रहें।