गोरखपुर        महराजगंज        देवरिया        कुशीनगर        बस्ती        सिद्धार्थनगर        संतकबीरनगर       
उत्तर प्रदेशब्रेकिंग न्यूज़महाराजगंज

महराजगंज : ज्योति के प्रयासों से सुपोषित हो रहे बच्चे

दैनिक बुद्ध का संदेश
बेहतर प्रदर्शन कर नजीर बनीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्योति
महराजगंज। सिसवा ब्लॉक के ग्राम पंचायत रूदलापुर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्योति सिंह (33) के प्रयासों से अति कुपोषित बच्चे सुपोषित हो रहे हैं।

वह दो अति कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती करवा कर स्वस्थ बना चुकीं हैं। वह केन्द्र पर पंजीकृत बच्चों को अक्षर ज्ञान कराने के साथ सुपोषण पर भी ध्यान देती है। गर्भवती को जहां समय-समय पर चेकअप, टीकाकरण कराते रहने के साथ पौष्टिक आहार लेते रहने की सलाह देती हैं, वहीं धात्री महिलाओं को स्तनपान और अनुपूरक आहार का महत्व भी बतातीं हैं। वह बेहतर प्रदर्शन कर नजीर बन चुकी हैं। बाल विकास परियोजना अधिकारी मनोज कुमार शुक्ला का कहना है कि अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी ज्योति से प्रेरणा लेकर बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए। आंगनबाड़ी केन्द्र पर पंजीकृत साढ़े तीन वर्षीया सोनाली की मां माला (30) ने बताया कि उनके बच्ची का न वजन बढ़ रहा था न लम्बाई। बच्ची हमेशा सुस्त रहती थी। केन्द्र जब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम आयी तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने उनकी बच्ची की जांच करायीं। टीम ने बच्ची को अति कुपोषित बताकर पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराने की सलाह दी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने माला को यह भी बताया कि एनआरसी में बच्ची को समय-समय पर पौष्टिक आहार व इलाज की सुविधा मिलेगी। बच्ची के साथ मां को भी रहने खाने की सुविधा मिलती है। इतनी जानकारी मिलने के बाद माला अपनी बच्ची को एनआरसी में भर्ती कराने को राजी हो गयी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता स्वयं बच्ची को एनआरसी में भर्ती कराने साथ गयीं। साथ में बच्ची की मां माला भी गयी। पांच अगस्त 2022 को एनआरसी में बच्ची को भर्ती करायीं। वहां 14 दिन रहने के बाद जब बच्ची डिस्चार्ज हुई तो वह स्वस्थ होने लगी। उसका 14 दिन में वजन 7.500 किग्रा से बढ़कर 7.900 किग्रा हो गया। वर्तमान में बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। आंगनबाड़ी केन्द्र रूदलापुर पर इस समय 133 बच्चे, 13 गर्भवती और 17 धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं। केन्द्र पर मात्र तीन बच्चे कुपोषित हैं। कोई बच्चा अति कुपोषित नहीं है। मुख्य सेविका मंजू, सुनीता और मीनाक्षी ज्योति को आवश्यक सहयोग करती हैं। ज्योति बताती हैं कि बच्चों के माता पिता को पोषण का महत्व समझाना पड़ता है। उन्हें बताना होता है कि छह माह बाद दो साल की उम्र तक स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार भी देना अनिवार्य है। पूरक आहार घर का बना होना चाहिए। बच्चों को बाजार का खाना नहीं देना है। अति कुपोषित बच्चों के अभिभावक एनआरसी जाने को तैयार नहीं होते हैं। जब उन्हें एनआरसी की सुविधाओं के बारे में बताया जाता है और बार-बार प्रेरित किया जाता है तो यह चुनौती भी आसान हो जाती है। कुपोषित बच्चों को घर पर बने पौष्टिक आहार से ही सुपोषित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हें पुष्टाहार भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बाक्स………….पौष्टिक आहार और टीकाकरण की मिलती है जानकारी केन्द्र पर पंजीकृत गर्भवती ज्ञानती (25) और मौसमी (21) ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा समय समय पर चेकअप और टीकाकरण कराने एवं पौष्टिक आहार लेते रहने की सलाह दी जाती है। वह जांच और टीकाकरण कराने साथ जाती हैं। सूखा राशन और पोषाहार से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर सेवन करने के लिए प्रेरित करतीं हैं। दोनों गर्भवती ने यह भी बताया कि गर्भावस्था के दौरान आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड की गोली का भी सेवन करने के लिए भी बताया गया है। यह दवाएं चेकअप के दौरान मिलती भी हैं।?

Related Articles

Back to top button