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गोरखपुर : हर गाँव सड़क योजना को मुँह चिढ़ाती दिख रहा है तियर केवटान का मार्ग

दैनिक बुद्ध का संदेश
गोलाबाजार/गोरखपुर। देश को आजाद हुए 75 बर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन गोरखपुर जिले के दक्षिणांचल में स्थित तियर गाँव का केवटन टोला अब भी बुनियादी सुविधाओं का इंतजार कर रहा है।उत्तर प्रदेश ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2017 में ज़ब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने सड़को का जाल बिछने की बात कही और जहाँ तक हो सका उन्होने पांच सालों में सड़के भी बनवायी और उसके बाद फिर उनकी सरकार सड़क बनवा रही है। लेकिन आज भी तियर का केवटान टोला बुनियादी सुविधाओं के लिए टकटकी लगाए बैठे है।वर्ष 2017 में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ बने तो गांव में बसे लोगों ने सोचा था कि अब इलाके का तेजी से विकास होगा. लेकिन उनका ये सपना सपना ही रह गया, हकीकत में तब्दील नहीं हो सका।

प्राप्त बिबरन के अनुसार जिले के दक्षिणांचल में स्थित तियर गांव का केवटान टोला के लोगों को आज भी सड़क, बिजली, पानी, दवा जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीना पड़ रहा है. अगर बारिश के समय गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है तो उसे खाट पर लिटा कर दो किलोमीटर दूर पक्की सड़क तक ले जाना पड़ता है। विडंबना यह है कि उत्तर प्रदेश के तेजी से विकास और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के नाम पर ही राज्य में फिर से योगी जी की 0.2 की सरकार बनी, लेकिन दुर्भाग्य से इन ग्रामीणों की दिक्कतों का ही कोई अंत नजर नहीं आता। तियर गांव के केवटन टोला में करीब 60 घर हैं. 250 से ज्यादा लोगों की आबादी वाला ये छोटा सा टोला दो गावों की सीमा पर बसा हुआ है।प्रसिद्ध स्वयं भू बाबा तिलेश्वर नाथ 1.5 किलोमीटर की दूरी स्थित पर है.। गांव के लोग लंबे समय से सड़क, बिजली, पानी और दवा जैसी बुनियादी सुविधाओं की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से सुनवाई नहीं की जा रही है। ग्रामीणों को सड़क का इंतजार गांव के लोगों की दिक्कतें समझने के लिए पहुंची पत्रकारों की टीम को भी मुख्य सड़क 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. ये गांव गोरखपुर जिले के मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर स्थित है गांव के लोग कहते हैं कि बाहर का कोई शख्स इस गांव में अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता. यहां के लोगों को अनाज के लिए भी 2 किलोमीटर दूर चलना पड़ता है. 108 एम्बुलेंस योजना के तहत घर के द्वार तक पहुंचने में भी असमर्थ है. पक्की सड़क न होने की वजह से गांव के बच्चों की भी अच्छी शिक्षा के लिए भी स्कूलों तक पहुंचने कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। गांव के लोगों की दिक्कतों का मुद्दा मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी किया पर वहाँ से भी कोई भी सहायता नहीं मिली. लोगों ने कई बार इसकी शिकायत लिखित रूप में अपने विधायक और सांसद को भी की पर आज तक उससे भी कोई लाभ नहीं हो पाया। अब देखना है कि ये वादे कब तक पूरे होते हैं. इस गांव के लोगों को वोट के नाम पर राजनेता हर चुनाव में वादे तो लंबे चौड़े करते हैं लेकिन चुनाव जीतते ही गांव की बदहाली से आंखें मोड़ लेते हैं।

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