बाराबंकी : बाल दिवस के मौके पर याद आते है मम्मू मियां
दैनिक बुद्ध का संदेश
मसौली/बाराबंकी। चाचा नेहरू के जन्मदिन पर तीन दिनों तक चलने वाली प्रदर्शनी एव बाल मेला आज भी कस्बा बड़ागाँव वासियो की अतीत में बना हुआ है इस मौके पर लोग समाजसेवी स्व0 इशरत अली किदवई उर्फ मम्मू मियां की कसरत को याद करना नहीं भूलती है। उल्लेखनीय हो कि 5 दशक पूर्व जब क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा के बाद जूनियर शिक्षा के लिए शहर की ओर जाना पड़ता था उस दौर में मम्मू मियां कस्बा बड़ागाँव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व0 शफीकुर्रहमान किदवई की स्मृति में शफीक उर रहमान मेमोरियल जूनियर हाई स्कूल की नींव रखकर क्षेत्र के लोगो को उच्च शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ने का काम किया था इस स्कूल में पढ़ने वाले तमाम प्रतिभाएं उच्च अधिकारियों के रूप सेवाएं दी।
मम्मू मियां पण्डित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवम्बर को धूमधाम से मनाते थे उस दौर में लगने वाली प्रदर्शनी एव बाल मेला जिले की पहचान बना था। तीन दिनों तक चलने वाले बाल मेले में तमाम कार्यक्रम आयोजित होते थे। बाल मेले में बिसतखाने की दुकानो के आलाव बच्चों के खिलौने की तमाम दुकाने, झूले लगते थे बच्चों से बेइंतेहा मोहब्बत करने वाले मम्मू मियां खुद भी बच्चों की हौसला अफजाई के लिए खुद ही बच्चों की तरह दुकानों से तमाम सामान खरीद कर वहां मौजूद बच्चों में ही बांट दिया करते थे बच्चों की खुशी के लिए वह हर वक्त सब कुछ करने को तैयार रहते थे आज उस दौर के बाल मेले में दुकानें लगाने वाले बच्चे खुद बच्चों के बाप हैं लेकिन वह हर साल 14 नवंबर को अपने जरिए लगाए गए मेले और मम्मू मियां से मिली मोहब्बत को दिल से याद करना नहीं भूलते है और अपने बच्चों को भी फख्र से आज के दिन के बारे में बताते हैं। ऐसे महान समाजसेवी मम्मू मियां 31 अगस्त 1988 को दुनिया से अलविदा हो गये जिसके बाद न तो स्कूल बचा और न ही बाल मेला लगा परन्तु चाचा नेहरू के जन्मदिन पर लोगो को मम्मू मियां की याद जरूर आती है जो इतिहास बन चुका है।