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उत्तर प्रदेशबलरामपुर

वक्फ अमेंडमेंट बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश से पहली याचिका दाखिल, हसीब खान ने उठाई आवाज

बलरामपुर। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में संसद में पारित किए गए वक्फ अमेंडमेंट बिल के खिलाफ देशभर में विरोध की लहर तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में अब तक इस बिल के खिलाफ लगभग 73 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश से इस मामले में पहली याचिका समाजवादी पार्टी के नेता और उतरौला विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी हसीब खान द्वारा दाखिल की गई है। इस याचिका को एडवोकेट भास्कर आदित्य और एडवोकेट नितिन मिश्रा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। याचिका में वक्फ संशोधन बिल को भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताया गया है। यह बिल संविधान विरोधी है हसीब खान हसीब खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ष्वक्फ अमेंडमेंट बिल पूरी तरह संविधान के खिलाफ है। यह न सिर्फ मुस्लिम समाज की संपत्तियों पर नियंत्रण की कोशिश है, बल्कि देश के तमाम धार्मिक ट्रस्टों की स्वायत्तता पर भी खतरा है। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद करते हैं। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, अन्य धार्मिक संस्थाएं भी चिंतित बिल के खिलाफ केवल मुस्लिम संगठनों ने ही नहीं, बल्कि बौद्ध, सिख, ईसाई समुदायों के चर्च, गुरुद्वारे और धार्मिक ट्रस्टों ने भी इस पर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह बिल लागू होता है तो धार्मिक संस्थाओं की संपत्ति और प्रशासन पर राज्य का सीधा नियंत्रण हो सकता है। क्या है वक्फ अमेंडमेंट बिल? वक्फ अमेंडमेंट बिल में वक्फ बोर्डों के अधिकारों और धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर कई प्रावधानों में संशोधन किया गया है। विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि इस बिल के माध्यम से सरकार धार्मिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता में हस्तक्षेप कर रही है। सुनवाई की प्रतीक्षा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख जल्द घोषित की जा सकती है। इस मुद्दे पर देशभर की नजरें सुप्रीम कोर्ट की ओर हैं, जहां तय होगा कि ये संशोधन संविधान के अनुरूप हैं या नहीं।

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