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सिद्धार्थनगर ; फसल अवशेष को उच्च गुणवत्ता युक्त कंपोस्ट में परिवर्तित करें किसान- डॉ प्रदीप

दैनिक बुद्ध का संदेश
भनवापुर/सिद्धार्थनगर। त्वरित कृषि अवशेष कंपोस्टिंग टेक्नोलॉजी पर एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। शुक्रवार कृषि विज्ञान केंद्र सोहना में आयोजित प्रशिक्षण में डी बी टी किसान बायोटेक परियोजना के सह अन्वेषक डॉ प्रदीप कुमार ने किसानों को प्रशिक्षण में बुकलेट लीफलेट बैग वितरण के बाद डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि कृषि अवशेष जो सामान्यता गांव में इधर-उधर बिखरे पड़े रहते हैं इससे वातावरण में दुर्गंध उत्पन्न होती है फसल अवशेष को प्रत्यक्ष रूप से उच्च गुणवत्ता युक्त कंपोस्ट में परिवर्तित किया जाता है डीबीटी किसान बायोटेक के सह अन्वेषक डॉ शेष नारायण सिंह ने बताया कि कंपोस्टिंग की विधि एक जैव रासायनिक प्रक्रिया है जिससे कम समय और कम लागत में गुणवत्ता युक्त कंपोस्ट तैयार की जाती है यदि किसान भाइयों का समूह इस टेक्नोलॉजी को अपना कर कंपोस्ट बनाते हैं तो इसका लाभ मिलेगा।

डॉ एस के मिश्रा ने अपघटन एवं सूक्ष्म जीवों के अनुप्रयोग एवं महत्व के बारे में बताया। डॉ सर्वजीत ने बताया किसान भाई व्यक्तिगत अथवा समूह बनाकर इस तकनीक के माध्यम से कंपोस्ट का उत्पादन कर इससे बने उत्पादों को बाजार में भी बेच सकते हैं और अच्छा लाभ कमा सकते हैं जिससे परिवार की आय में वृद्धि हो होगी। कृषि वैज्ञानिक प्रवेश कुमार ने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से किसानों को प्रति एकड 3000 से 4000 का लाभ होता है। नीलम सिंह ने बताया कि छोटे मध्यम या फिर सीमांत किसानों के लिए जिसके पास आय के साधन सीमित हैं ये तकनीक बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं। एक दिवसीय ट्रेनिंग में गोरखनाथ राम चरित्र बीपत राम शब्द खुदई राम सजीवन बाबूलाल जय श्री राम चेतन राम मुकेश चंद्र राम परशुराम बजरंगी लाल आदि उपस्थित रहे।

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