भक्तों की मुरादें पूर्ण करती हैं, मेहदिया मन्दिर की माँ काली

गोरखपुर। माँ काली के इस मंदिर की महिमा अपरम्पार है, दूर-दराज से लोग आते हैं इस मंदिर पर माथा टेकने। ऐसी मान्यता है कि मां को यादकर जो भी मन्नतें मांगता है उसकी मुरादें मां अवश्य पूर्ण करती है। स्थानीय राजपूत बाबा राजबंशी सिंह के पूर्वज़ के आराधना पर प्रकट हुई थीं माँ रात से ही माता के मंदिर पर भक्तों का शुरू हो जाता है आना जाना। चन्द्रवंशी क्षत्रिय आराध्य देवी के रूप में करते हैं पूजा तथा गांव का हर दूल्हा यहाँ हाजिरी देकर ही निकलता है बारात के साथ दुल्हन लाने। गोरखपुर से तकरीबन 40 किमी दूर दक्षिणाँचल में गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग के निकट गगहा क्षेत्र के राजस्व ग्रामसभा मेहदिया में चंद्रवंशी क्षत्रियों की आराध्य देवी माँ भद्रकाली का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर स्थित है जिसकी क्षेत्र में काफ़ी मान्यता है। इस गाँव के दीपक सिंह बताते हैं, कि माँ उनकी तथा अपने सभी भक्तों की रक्षा सदैव करती हैं। सैकड़ों वर्ष पूर्व स्थानीय राजपूत बाबा राजबंशी सिंह के पूर्वज को स्वप्न में माता ने दर्शन दे कर गांव की इस जमीन पर अपने होने का प्रमाण दिया था। अगले ही दिन से उस स्थान पर स्थित नीम के पेड़ की जड़ में पिण्डी स्वरूप माँ काली को देखकर सभी ग्रामीणों ने मिट्टी का चबूतरा बना कर पूजा आराधना शुरू कर दी, जो आज तक अनवरत चल रही है। कालांतर में जनसहयोग से पिंडी की जगह मन्दिर का निर्माण करवा कर मूर्ति की स्थापना करवाई गई। मंदिर की महिमा अपरंपार है इस मंदिर पर पूजा अर्चना करने से कोई नेता बना तो कोई अभिनेता बना कोई गायक बना कोई ठेकेदार बना कोई पहलवान बना यही नहीं इस मंदिर पर पूजा अर्चना करने से इस क्षेत्र के दर्जनों लोग सरकारी नौकरी तथा नौकरी में प्रमोशन पा कर के गगहा का नाम रोशन कर रहे हैं।
भक्तों की मुरादें पूरी करती है माँ काली
सबसे बड़ी बात है कि वर्तमान में भी अति प्राचीन नीम के वृक्ष की छाँव में विराजमान माँ भद्रकाली की इस मंदिर पर बहुत दूर-दराज से लोग आते हैं मां की पूजा अर्चना करते हैं और अपनी मुराद माँ के सम्मुख रखते हैं और ऐसी मान्यता है कि माँ को यादकर जो भी मन्नतें मांगता है। उनकी मुरादें माँ अवश्य पूर्ण करती है। मन्नत पूरी होने पर भक्तगण मां को चुनरी, नारियल, धूप, अगरबत्ती के साथ कथा-कड़ाही, धार-कर्पूर, लवंग इत्यादि चढ़ाते हैं। यह मन्दिर सभी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। यहां पर सभी प्रकार के मांगलिक कार्य मुंडन, विवाह इत्यादि में लोग माता से मिल कर आशीर्वाद लेते हैं। और गांव का हर दूल्हा यहाँ हाजिरी दे कर ही बारात के साथ दुल्हन को ले कर आने के लिए बारात के साथ निकलता है। मंदिर पर साफ सफाई का कार्य स्थानीय लोगों द्वारा किया जाता है। माता के दर्शनों के लिए सातों दिन आठों प्रहर भक्तगण का आना-जाना लगा रहता है।
जन सहयोग से मंदिर का हुआ है जीर्णाेद्धार
समय के साथ साथ मंदिर का भक्तों के सहयोग से कई बार नवीनीकरण कराया जाता रहा है। इस मंदिर को पूरी तरह पक्का और आकर्षक बनाने में समाजसेवी मेसर्स पालीवाल ब्रदर्स गिरजा शंकर सिंह उर्फ़ तारा सिंह पालीवाल का सहयोग अतुलनीय है। इस बार के चौत्र वासंतिक नवरात्रि के प्रारम्भ में माता दुर्गा की सातवीं शक्ति का जागृत स्वरूप माता के मन्दिर की मरम्मत रंगाई पुताई कर तैयारी पूरी कर नव मुर्तियों की स्थापना शुक्रवार को की गई और विशाल भंडारा महाप्रसाद का वितरण किया गया।जिसमें दीपू सिंह, मंटू सिंह, चन्दन सिंह, शम्भू नेताजी, सरदार प्रदीप सिंह, रामप्रवेश यादव, सतीश सिंह, वीरेंद्र गुप्ता, पन्ने गुप्ता, शिवशंकर सिंह, भगवन्त सिंह, सुरेश सिंह, श्रीप्रकाश सिंह उर्फ़ भोला सिंह, गोलई सिंह, नरसिंह सिंह, अमित सिंह, प्रमोद गुप्ता, जय गोविन्द चौधरी, प्रेम सिंह, अजित सिंह, रविंद्र, सिंह, दंगली यादव, अर्जुन सिंह सहित पुरुष व स्त्रियां, बच्चों सहित समस्त ग्रामवासी मौजूद रहे।