मानव जीवन एक परीक्षा की तैयारी है तो दूसरी तरफ मृत्यु परीक्षा है: आचार्य हरिवेंद्र त्रिपाठी

बांसी। पथरा छेत्र के कम्हरिया खुर्द में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के वाचन के दौरान कथा व्यास आचार्य हरिवेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि वैदिक सनातन परंपरा में पुनर्जन्म की मान्यता है जिसके अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भ्रमण करने के बाद मानव शरीर को प्राप्त करता है यह पृथ्वी लोक कर्म भूमि है जहां पर आकर मानव को अपनी मानवता धर्म का पालन करना होता है अगर मनुष्य अपने पूरे जीवन में अपने धर्म का पालन करते ईश्वर में निष्ठा रखते हुए भगवान के नाम का जाप दान पुण्य सत्कर्म और सेवा करता है और सदैव लोक कल्याण की भावना रखते हुए खूब पूण्य अर्जित कर लेता है तो मृत्यु निकट आने पर उसे घबराना नहीं पड़ता है प्रसन्नता के साथ मृत्यु को स्वीकार करके और इस मानव जीवन की परीक्षा में सफल होकर को प्राप्त कर लेता है। जिस तरह से विद्यार्थी वर्षों तक परीक्षा की तैयारी करके जब परीक्षा में बैठता है तो उसे परीक्षा से घबराना नहीं पड़ता है और परीक्षा को पास करके कोई पद प्राप्त कर लेता है वहीं पर जो विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी ढंग से नहीं किए रहते हैं परीक्षा जाने पर उनके पसीने छूटने लगते हैं। आचार्य ने बताया की हर मानव को प्रयास करना चाहिए कि मनुष्य का जीवन बेकार हो न जाए इसलिए खूब सत्कर्म करो उक्त अवसर पर दिलीप कुमार सिंह प्रदीप कुमार सिंह रिंकू संतोष कुमार सिंह प्रमोद कुमार सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।