सिद्धार्थनगर : अधिशासी अधिकारी बांसी ने नहीं दी सूचना लगा ₹25000/-का जुर्माना
ईओ ने नहीं दी सूचना तो आयोग ने किया तलब, अब चलेगा आयोग का डण्डा
दैनिक बुद्ध का सन्देश
सिद्धार्थनगर। जनपद का नगर पालिका परिषद बांसी अपने कार्यों एवं कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। अधिशासी अधिकारी नगर पालिका कार्यालय के जिम्मेदारों द्वारा राज्य सूचना आयोग के आदेशों व निर्देशों का जमकर गला घोंटा जा रहा है, जबकि राज्य सूचना आयोग को जुर्माना लगाने/अर्थ दण्डित करने का पूरा अधिकार है। आपको बता दें कि जनपद मुख्यालय सिद्धार्थनगर के भीमापार निवासी वरिष्ठ समाजसेवी व आरटीआई कार्यकर्ता देवेश मणि त्रिपाठी ने महीनों पूर्व जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के धारा 6(1) के अन्तर्गत निर्धारित शुल्क जमा करते हुए सूचना मांगा था, परन्तु समय-सीमा बीत जाने के बाद भी जब आवेदनकर्ता देवेश मणि त्रिपाठी को चाही गयी वांक्षित सूचना उपलब्ध नहीं करायीं गयी तो वह धारा 19(1) के अन्तर्गत प्रथम अपीलीय अधिकारी को किया फिर भी सूचना नहीं दिया गया बल्कि उक्त सूचना के लिए बार-बार दौडा़कर उनका आर्थिक और मानसिक शोंषण किया गया। जिससे क्षुब्ध होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया और राज्य सूचना आयोग ने अधिशासी अधिकारी नपा बांसी को नोटिस जारी करते हुए आयोग में तलब कर शीघ्र सूचना उपलब्ध कराने हेतु आदेशित एवं निर्देशित किया।
फिर भी आवेदक को सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर राज्य सूचना आयोग के आयुक्त स्वतन्त्र प्रकाश द्वारा कडा़ रूख अख्तियार करते हुए एस0-3-609/ए/2023 द्वारा दिनांक 20/09/24 को समस्त प्रपत्रों व स्पष्टीकरण के साथ ई0ओ0 बांसी को तलब किया है और उनके द्वारा बिलम्ब का स्पष्टीकरण न देने पर जुर्माना लग सकता है। दरअसल राज्य सूचना आयोग द्वारा जिस अधिकारी/जन सूचना अधिकारी के ऊपर जुर्माना लगाया जाता है तो जुर्माने की धनराशि की कटौती सम्बन्धित के वेतन से किये जाने का प्राविधान है। इस सम्बन्ध में अधिशासी अधिकारी नगर पालिका बांसी मुकेश कुमार को फोन करने उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा। इसी क्रम में जनपद सिद्धार्थनगर के ही विकास खण्ड उसका बाजार के सहायक विकास अधिकारी (पं0) को भी राज्य सूचना आयोग ने 20/09/2024 को तलब किया है। जनपद में एक साथ कई लोगों के राज्य सूचना आयोग में तलब होने पर इस समय जमकर खलबली मचा हुआ है। सूचना आयोग द्वारा जो जुर्माना लगाया जाता है, जुर्माने की अधिकतम सीमा 25000 रूपये है और इसकी कटौती सम्बन्धित के वेतन से करने का वर्तमान प्राविधान है।