बलरामपुर : कैंसर पीड़ित दलित की जमीन पर कब्जे को लेकर प्रशासन के सारे दावे हवा हवाई
दैनिक बुद्ध का सन्देश
बलरामपुर। एक तरफ योगी दलित कमजोर वर्ग के लोगों की जमीनों पर कब्जे करने वालों पर प्रशासन से ऐसी कार्यवाही करने की बात करते हैं की जो आने वाले दिनों में नजीर बन तो वहीं पर उनके दूसरे गृह क्षेत्र बलरामपुर में उपजिलाधिकारी राजेंद्र बहादुर द्वारा जमीन से कब्जे हटवाने व दलित पीड़ित के मामले में ध्वस्तीकरण करने को लेकर वह किस कदर परेशान है जिसे अखबारों में बयां नहीं किया जा सकता जिसमें यह बताने की जरूरत नहीं है ऐसा क्यों है उसके पीछे विपक्षी एक आरा मिल का मालिक है जो तहसील व अन्य विभागों के बहुतों कर्मचारियों को बिठाकर के चाय पिलाता है और घर पर ही सारी प्रक्रिया पूरी करता है
यही नहीं उसने पी० डब्लू० डी० फुलवरिया बाईपास एन० एच० पर सरे आम दो दुकानें बनाकर उसे संचालित कर रहा है जिले के सारे अला हकीम उसे दुकान को देखते हैं और देखकर अनजान बन जाते हैं उक्त संदर्भ में भी विभागीय जांच आदि होने के बाद पूरा मामला विभाग के ठंडे बस्ते में चला गया इससे सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि जब पी० डब्लू ० डी० जैसी बड़ी संस्था उसके मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर पायी तो फिर कैंसर पीड़ित दलित राम लखन की क्या हैसियत है जो इसके गाटा संख्या पर कब्जा हटवा सके पीड़ित राम लखन का कहना है कि अपने ही जमीन के लिये मैंने पूर्व जिलाअधिकारी व वर्तमान जिलाअधिकारी व आयुक्त देवीपाटन मंडल को प्रार्थना पत्र देकर अपनी समस्याओं से अवगत करा चुका हूं साथ ही मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत कर चुका हूं इनमें ज्यादातर मामले का निस्तारण करने की बात नोट करके मामले की इतश्री कर दी जाती है लाख प्रयासों के बाद भी फुलवरिया बाईपास स्थित बिशुनापुर गाटा संख्या 1562 से ना तो कब्जा हट सका और ना ही अब तक कब्जे पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही हो सकी जबकि पीड़ित स्थानीय न्यायालयों से लेकर उच्च न्यायालयों तक सभी स्तरों से अपने पक्ष में आदेश करवा चुका है यहां तक की उच्च न्यायालय इलाहाबाद की पीठ लखनऊ से भी एक डायरेक्शन 6 महीने पहले उपजिलाअधिकारी को उसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई मजबूरन पीड़ित उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना की तैयारी में पीड़ित का कहना है कि जब तक यह उपजिलाधिकारी रहेगें तब तक मेरा काम नहीं होगा क्योंकि यह सीधे विपक्षी आरा मलिक से मिले हुये हैं और बार-बार समझौते की बात करते हैं तथा आने वाले उच्च अधिकारियों को गलत सूचना देकर मामले को भ्रमित कर देते हैं उनके रहने से न्याय मिलना संभव नही है योगी सरकार जो भी दावा करे वह हवा हवाई हैं।