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मदरसो में फर्जी नियुक्ति छात्रवृत्ति घोटाले के सूत्रधारों पर मुकदमे दर्ज होने के बाद भी कार्यवाही नहीं

दैनिक बुद्ध का सन्देश
बलरामपुर। उत्तर प्रदेश सरकार की सक्रियता से जनपद बलरामपुर व उसके आसपास के जिलों में नेपाल भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में कार्यरत मदरसो में बड़े पैमाने पर फर्जी वाड़ा होने की बात अक्सर प्रकाश में आती रहती है और समय-समय पर उसे पर कार्यवाही भी होती है बताते चलें फर्जीवाड़ा कर मदरसों पर कब्जा करना और जाली दस्तावेजों पर नियुक्ति कराने वाले गिरोह के तार सीधे तौर पर छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े हैं। इसी गिरोह के सदस्यों ने मदरसा छात्रों को वर्ष 2009-10 और 2011-12 सत्र में मिलने वाले 65,80,317 रुपये की छात्रवृत्ति की बंदरबांट की थी। बलरामपुर देहात कोतवाली में दर्ज मुकदमा संख्या 1120/2012 धारा.406,409,419,420,467,468,471 दर्ज है इस मामले की जांच बाद में ईओडब्ल्यू की लखनऊ शाखा को सौंपी गई लेकिन करीब दस साल बीतने के बाद भी आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं हो सका।

वित्तीय वर्ष 2009-10 व 2011-12 में बलरामपुर के मदरसा दारुल उलूम नईमिया गौसिया गैड़हवा तुलसीपुर के प्रबंधक अजीज अहमद अंसारी और मदरसा जामिया अनवारूल उलूम नई बाजार तुलसीपुर के लिपिक अजीज बाजार तुलसीपुर के लिपिक अजीज अहमद ने फर्जी हस्ताक्षर से दस्तावेज तैयार किया। इसके बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी इस्लाम अहमद अब्बासी, पटल सहायक शमीम अहमद व उसकी पत्नी बानो बेगम, अजीज अहमद अंसारी के चाचा कलीम व किया शकूर और भाई युनुस अहमद अंसारी को शामिल कर 65,80,317 रुपये की छात्रवृत्ति का गबन कर लिया गया। मोहम्मद इमरान के द्वारा न्यायालय में कई मुकदमा चल रहा हैं उसके बावजूद ईओडब्ल्यू की लखनऊ शाखा अब तक चार सीट दाखिल करने में असफल रही सूत्र बताते हैं कि घोटाले में अयोध्या में कार्यरत अध्यापक खुर्शीद अहमद की भूमिका भी थी। उधर, गोंडा के नवाबगंज में भी इस गिरोह पर केस दर्ज है ढाई करोड़ के गबन का केस न-340/2020और धारा.409,419,420,467,468,471 दर्ज हैऔर न्यायालय में चार सीट पेश हो गया है। मदरसा हनीफिया हिदायतुल उलूम होलापुर काजी के सहायक अध्यापक करीम मोहम्मद ने इस गिरोह के खिलाफ लगभग ढाई करोड़ रुपये गबन करने की शिकायत की। विशेष सचिव प्रभु दयाल श्रीवास ने मामले की जांच कराई। इसमें फर्जी भुगतान की पुष्टि हुई। उनके आदेश पर केस दर्ज किया गया। इसमें गुलाम मोहयुद्दीन, असरार अहमद, खुर्शीद अहमद, रविकांत, तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी समीर उल्ला, कनिष्ठ लिपिक शमीम अहमद, निलंबित प्रबंधक मो. शरीफ खां व कयी कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया। पर यह मामला शासन के पत्रावलियों में आज भी लंबित है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की फर्जी वाडे़ गिरोह का नेटवर्क कितना मजबूत है

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