भनवापुर : मेंथा की खेती से अधिक लाभ कमाएँ- डॉ. प्रवेश कुमार
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दैनिक बुद्ध का सन्देश
भनवापुर,सिद्धार्थनगर। डॉ. प्रवेश कुमार मृदा वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र सोहना सिद्धार्थनगर नें बताया किसान भाई मेंथा की खेती करके अधिक लाभ लें मेंथा एक औषधीय फसल है जिसका प्रमुख रासायनिक घटक मेंथाल होता है जो बहुत ठंडा और हल्का होता है।
जिसका प्रयोग औषधीय एवं सुगन्धित पदार्थों के निर्माण में किया जाता है प्रमुख किस्मे सिम उन्नति, सिम क्रांति, सिम सरयू, कोसी आदि भूमि एवं जलवायु रू मेंथा के लिए उचित जल निकास वाली उपजाऊ मृदा अच्छी होती है जिस का पीएच मान 7 से 8.5 हो गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है प्रवर्धन एवं पौध सामग्री मेंथा की सीधी बुवाई करने में 4 से 5 कुंतल तथा रोपण विधि में 80 से 100 किग्रा. प्रति हेक्टर सकर्स की आवश्यकता होती है। बुवाई का समय रोपण विधि से मार्च द्वतीय सप्ताह से अप्रैल प्रथम सप्ताह तक की जाती है खेत की तैयारी एवं पौध रोपण रोपण से पहले खेत की 2 से 3 जुताई करते हैं 30 से 40 दिन की तैयार पौध को लाईन से लाईन की दूरी 45 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी पर 2.5 से 5सेमी की गहराई पर करते हैं खाद एवं उर्वरकरू एक कटाई के लिए 80 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फास्फोरस एवं 40 किलोग्राम पोटाश तथा दो कटाई के लिये 150 किग्रा नत्रजन, 60 किग्रा फास्फोरस, 40 किग्रा पोटाश का प्रयोग करते हैं नत्रजन की 1/3 मात्रा, फास्फोरास एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा बुवाई के समय खेत में मिश्रित कर देते है। सिचाई बुवाई या रोपाई के तुरंत के बाद सिचाई करते हैं इसके बाद 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिचाई करते हैं कटाई के 8 से 10 दिन पूर्व सिचाई बंद कर देते हैं कटाई जब ऊपर की पत्तियां छोटी एवं नीचे की पत्तियाँ पीली पड़ने लगे बुवाई के लगभग 100 से 120 दिन बाद एवं दूसरी कटाई पहली कटाई के 70 से 80 दिन बाद करते हैं पौधों को छाया में सुखाने के बाद आसवन करते हैं तेल की उपज दो कटाई 80 से 100 लीटर प्रति हेक्टेयर आय व्यय कुल लागत दो कटाई 50000 रुपया प्रति हेक्टेयर कुल आय 200000 रूपये प्रति हेक्टेयर शुद्ध लाभ 150000 रूपय प्रति हेक्टेयर। अधिक जानकारी के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र सोहना सिद्धार्थनगर से संपर्क करें।