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संतकबीरनगर : पति की दीर्घायु के लिए हरतालिका तीज का रखा व्रत

विवाहित महिलाएं ही नहीं कुंवारी कन्याएं भी रख सकती हैं ये व्रत

दैनिक बुद्ध का संदेश
संतकबीरनगर। सुनीता ने बताया कि हरतालिका तीज का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याओं के लिए व्रत के नियम अलग हैं। हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 6 सितंबर, शुक्रवार को पड़ रहा है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुख समृद्धि के लिए माता पार्वती के पार्थिव रूप की पूजा अर्चना करती हैं। हरतालिका तीज का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याओं के लिए व्रत के नियम अलग हैं। वह इस व्रत को फलहार पर भी रख सकती हैं। आइए जानते हैं कि अविवाहित कन्याओं को तीज का व्रत किस नियम और विधि से रखना चाहिए।

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हरतालिका तीज व्रत नियम वैसे तो हरतालिका तीज व्रत रखने के नियम विवाहित और अविवाहित कन्याओं के लिए समान हैं, लेकिन इनका सही ढंग से पालन करने के लिए इन नियमों को जानना जरूरी है। अविवाहित कन्याओं को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत करने का संकल्प लेकर अपना व्रत शुरू करना चाहिए। संकल्प ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धरण करके लें। हरतालिका तीज एक निर्जला व्रत है, जिसका अर्थ है कि व्रत करने वाला दिन के दौरान भोजन या पानी का सेवन नहीं करता है। व्रत को उन्हीं नियमों के अनुसार करने का प्रयास करें। लेकिन कुंवारी कन्याएं इस व्रत को फलाहार के साथ भी कर सकती हैं। अविवाहित कन्याओं को पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए। एक साफ चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां या चित्र रखें और फल, फूल और मिठाई आदि अर्पित करें। इस व्रत की प्रथम पूजा सायं काल में की जाती है। हरतालिका तीज व्रत के उत्सव के दौरान, अविवाहित लड़कियों को पारंपरिक परिधान धारण करने चाहिए और विवाहित महिलाओं को पारंपरिक वस्त्रों के साथ सोलह श्रृंगार करना चाहिए। व्रत रखने वाली अविवाहित कन्याओं को अच्छे जीवनसाथी के लिए मां गौरी की प्रार्थना करनी चाहिए। अगले दिन भोर में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करके व्रत खोलना चाहिए।

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