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बांसी : क्षण प्रतिक्षण नदी के बदलते चाल पर निगाह रख रहा है सिंचाई विभाग

दैनिक बुद्ध का संदेश
बांसी। जिले के बडी़ आबादी को अपने बाढ़ से प्रभावित करने के लिए मशहूर राप्ती, बूढ़ी राप्ती,बानगंगा, जमुवार ,कूडा और घोघी नदियाँ जिनका संबंध पहाडों से हैं काफी उथल पुथल मचाती हैं। संचार माध्यमों से नेपाल द्वारा छोडे जा रहे पानी की जानकारी तो मिल जाती है परन्तु उनसे बचने के लिए सिंचाई विभाग को कमान संभालना पडता है। इसमें बूढी राप्ती और राप्ती का कहर सबसे अधिक प्रभावित करने वाले हैं। बंधों के निर्माण और देखरेख का जिम्मेदारी संभालने के लिए लगे सिंचाई विभाग द्वारा नदियों के बदलते चाल पर हर क्षण निगाह रखना पडता है।

संवेदनशील बांधों मे सतवाढी़, भगौतापुर, नगवा, हर्रैया, विशुनपुरवा, मेचुका, होरिलापुर, वीरपुर एहतमाली आदि बंधे हैं जिन पर नदियों के चाल का असर पड़ता है। इस बारे में सहायक अभियंता घनश्याम पांडेय का कहना है कि पहाड़ से आए हुए तेज पानी के बहाव को सीमित स्थानों तक रखने के लिए पूरी टीम जी जान से जुटी रहती है। इसमें लगातार निगरानी रखना, आपातस्थिति के लिए सामग्री तैयार रखना, बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचना, जान माल का नुकसान न्युनतम करना और बंधे को टूटने से बचाना होता है। उन्होंने कहा कि बंधों पर पानी चढाव और उतार के समय सबसे अधिक खतरा मौजूद रहता है। हमारे एक्सीएन, जेई और सिंचाई विभाग के कर्मी बाढ़ से निपटने और बचाव के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं।

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