बस्ती : बस्ती में कागजों में चल रहा है ई-कचरा प्रबन्धन, जहरीली गैसों वाला अदृश्य हत्यारा मानव जीवन के लिये बना खतरा
इंदिरा चैरिटेबल की सेक्रेटरी ज्योति ने दिया विधिक कार्यवाही की चेतावनी
दैनिक बुद्ध का संदेश
बस्ती। इंदिरा चैरिटेबल सोसाइटी की सेक्रेटरी ज्योति पाण्डेय ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि बस्ती में ई-कचरा निस्तारण के लिए संयंत्र लाइसेंस जारी होने के दो साल बाद भी कचरे के निपटान के लिए संयंत्र नहीं लगाया गया और ना ही कचरा इकट्ठा कराके उसका संग्रह किया गया। यदि शीघ्र इस मामले में प्रभावी कार्यवाही न की गई तो वे जनहित के सवाल को लेकर विधिक कार्यवाही की पहल करेंगी।
इसके लिये एनजीओ की लीगल टीम केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संपर्क स्थापित कर रही है । लोक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालने और एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के अनुसार शीघ्र अनुज्ञापी पर विधिक कार्यवाही का आग्रह किया जायेगा।सोसाइटी की सेक्रेटरी ज्योति पाण्डेय ने बताया कि जिले में ई-कचरा निस्तारण के लिए संयंत्र लाइसेंस जारी होने के दो साल बाद भी कचरे के निपटान के लिए संयंत्र नहीं लगाया गया और ना ही कचरा इकट्ठा कराके उसका संग्रह किया गया। भानपुर तहसील के नौवागांव में मेसर्स एलएसई वेस्ट रिसाइक्लिंग यूनिट के प्रोपराइटर शाहिद हुसैन को शासन द्वारा लाइसेंस जारी किया गया है इस यूनिट की क्षमता 2 टन प्रतिदिन है। अगर इस यूनिट ने काम शुरू किया होता तो अब तक जिले के अंदर से 1,46,000 कुंतल ई- कचरे का निस्तारण हो चुका होता।
लेकिन ना ऐसा यूनिट के संचालक द्वारा किया गया और ना ही इस यूनिट पर निगरानी करने वाली सरकारी एजेंसियों ने रुचि दिखाई जिसका परिणाम यह है की जिले में रहने वाले नागरिकों को इन ई- कचरों से निकलने वाले जहरीली गैसों वाला अदृश्य हत्यारा अपने जद में धीरे-धीरे ले रहा है। बताया कि इन गैसों में कैडमियम,आर्सेनिक, लेड, की मात्रा खून में ज्यादा होने से मरीजों के पेशाब में खून आने की समस्या से प्रोटेस्ट कैंसर को जन्म दे रहे हैं इस बात की पुष्टि अमेरिका के जनरल आफ यूरोलॉजी ऑंकोलॉजी करती है यह बात प्रासंगिक होती है।अखिल भारतीय स्तर पर काम करने वाली जिले के एनजीओ इंदिरा चैरिटेबल सोसाइटी ने जिले में ई- कचरा प्रबंधन को लेकर के शासन व मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था पर्यावरण मंत्री डॉक्टर अरुण कुमार के दिए गए विधानसभा में बयान के आधार पर ने एनजीओ नें पाया कि निर्धारित स्थान पर यूनिट है ही नहीं और इसका पता विभाग तक को भी नहीं है। ऐसे में मानव स्वास्थ्य को लेकर किए गए घोर लापरवाही और लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करने के लिए ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम 2022 की अनुसूची- 5 के तहत इसके जिम्मेदार अनुज्ञापी के विरुद्ध संस्था निंदा प्रस्ताव पास कर मुकदमा दर्ज कराते हुए कानूनी कार्यवाही करेगी।