सिद्धार्थनगर : कृषि विज्ञान केन्द्र सोहना में 21 दिवसीय रोजगार परक प्रशिक्षण प्रारंभ
दैनिक बुद्ध का सन्देश
भनवापुर,सिद्धार्थनगर। भारत में बटन मशरूम उगाने का उपयुक्त समय अक्तुबर से मार्च के महीने हैं। इन छरू महीनो में दो फसलें उगाई जाती हैं। बटन खुम्बी की फसल के लिए आरम्भ में 22 से 26 डिग्री सेंटीग्रेड ताप की आवश्यकता होती है आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ ओ पी वर्मा ने उद्घाटन सत्र में बताया कि मशरूम उत्पादन एक अच्छा व्यवसाय है भारत में खुम्बी उत्पादकों के दो समुह हैं एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती करते हैं तथा दूसरे जो सारे साल मशरूम उगाते हैं मौसमी खेती मुख्यतरू हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कशमीर, उत्तर प्रदेश की पहाडीयों, उत्तर-पश्चिमी पहाडी क्षेत्रों, तमिलनाडु के पहाडी भागों में 2-3 फसलों के लिए तथा उत्तर पश्चिमी समतल क्षेत्रो में केवल जाडे की फसल के रूप में की जाती है। कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार ने बताया व्यवसायिक रूप से तीन प्रकार की खुम्बी उगाई जाती है।
बटन खुम्बी, ढींगरी खुम्बी तथा धानपुआल या पैडीस्ट्रा खुम्बी। इनमे बटन खुम्बी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। तीनो प्रकार की खुम्बी को किसी भी हवादार कमरे या सेड में आसानी से उगाया जा सकता है। डॉ एसके मिश्रा ने बताया कि मशरूम की खेती हजारों वर्षों से विश्वभर में भोजन और औषध दोनों ही रूपों में रही है। ये पोषण का भरपूर स्रोत हैं और स्वास्थ्य खाद्यों का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं। मशरूमों में वसा की मात्रा बिल्कुल कम होती हैं, विशेषकर प्रोटीन और कार्बाेहाइड्रेट की तुलना में, और इस वसायुक्त भाग में मुख्यतया लिनोलिक अम्ल जैसे असंतप्तिकृत वसायुक्त अम्ल होते हैं, ये स्वस्थ ह्दय और ह्दय संबंधी प्रक्रिया के लिए आदर्श भोजन हो सकता है। उपभोग की चालू प्रवृत्ति मशरूम निर्यात के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों को दर्शाती है। डॉ सर्वजीत ने बताया कि मशरूम प्रजातियों में हमारे देश में होने वाले वाईट बटन मशरूम का ज्यादातर उत्पादन मौसमी है। इसकी खेती परम्परागत तरीके से की जाती है। डॉ मारकंडेय सिंह ने बताया कि मशरूम का उत्पादन अच्छी कम्पोस्ट खाद तथा अच्छे बीज पर निर्भर करता है अतरू कम्पोस्ट बनाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कुछ भुल चूक होने पर अथवा कीडा या बीमारी होने पर खुम्बी की फसल पूर्णतया या आंशिक रूप से खराब हो सकती है। नीलम सिंह ने मशरूम से बने व्यंजनों के बारे में अवगत कराया। मशरूम के 15 किसानों सहित रमेश कुमार त्रिपाठी, सूर्यनाथ मिश्रा, सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी, शिव प्रसाद, अष्टभुजा, राधेश्याम, शिव प्रसाद, सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी, विष्णु नारायण पांडे आदि उपस्थित रहे।