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सिद्धार्थनगर: बस्ती में पकडे गये पत्रकार क्या फर्जी थे,आखिर सूचना विभाग कैसे देता रहा कार्यक्रमो का पास ?

कर्सर.............मीडिया में अब सच्चाई क्या मरती जा रही है?

एम.पी. सिंह/दैनिक बुद्ध का संदेश
सिद्धार्थनगर: शनिवार को बस्ती के वाल्टरगंज थाने में फर्जी पत्रकार बना कर पुलिस द्धारा पकड़े गये युवक क्या फर्जी पत्रकार है चारो तरफ यही चर्चा हो रही है लेकिन प्रश्न और भी गहरा हो जाता है आखिर फर्जी पत्रकारो को सूचना विभाग सिद्धार्थनगर कैसे देता रहा प्रधानमंत्री एंव मुख्यमंत्री के कार्यक्रमो का पास। जब सूचना विभाग सिद्धार्थनगर प्रधानमंत्री एंव मुख्यमंत्री के कार्यक्रमो का पास जारी करता रहा पत्रकार के तौर पर तो आखिर एक ही दिन मे वे लोग फर्जी पत्रकार कैसे बन गये।

जब बस्ती पुलिस ने फर्जी पत्रकार के तौर पर पकड़ा तो आखिर युवको के पत्रकार कहने पर सूचना कार्यालय सिद्धार्थनगर से प्रमाणित क्यो नही कराया गया पुलिस पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। क्या पुलिस अवैध खनन करने वाले गिरोह के दबाव मे थी या वह भी अवैध खनन में शामिल रही है ?
जिले के वरिष्ठ पत्रकार एम0पी0 सिंह ने पत्रकारो की एक गोष्ठी में जब यह प्रश्न उठाया, कि कुछ सिद्धार्थनगर के पत्रकार बस्ती पुलिस द्वारा हिरासत में लिये गये हैं, और खबरे यहां जो बनी वह मात्र पुलिस विज्ञप्तियां रही है, तथा पीड़ित पक्षों को सुनने या जानने या उसकी खबर बनाने की जहमत जिले की मीडिया ने नही उठाया यह विवश करता है कि पत्रकारिता की दिशा और दशा किस तरफ जा रही है,सूत्रों के अनुसार जो सच्चाई सामने उभर कर आई उसके मुताबिक हिरासत में लिया गया एक व्यक्ति सिद्धार्थनगर के एक हाकर को स्वतंत्र भारत अखबार वितरित करवा रहा था, तथा एक पत्रकार अभी हाल ही में लखनउ के एक अखबार को लेकर आया और अपने को उसका संवाददाता प्रदर्शित किया, जिसकी सूचना जिला सूचना कार्यालय को भी रही। इसके अलावा भी कुछ पत्रकारो ने सवाल उठाया कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति जिला सूचना कार्यालय से विभिन्न कार्यक्रमों में पास भी प्राप्त कर चुका हैे, उसके बावजूद यदि वह सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ हो तब भी उसे कहीं भी किसी घटना के सम्बन्ध में सामान्य नागरिक की हैसियत से पूछताछ का अधिकार है ही और पुलिस का वर्जन यह है कि उसके पास फर्जी खनन अधिकारी की आई0डी0 बरामद हुई, जिसके बारे में जिले के पत्रकारो का कहना है कि पुलिस का यह वर्जन इसलिये विश्वास से परे है, क्योंकि कोई भी सोशल मीडिया का ही संवाददाता जो काफी दिन से जिले में अपने मोबाइल में खबरे सोशल मीडिया के जरिये छाप रहा है, तो वह गैर जनपद में खनन अधिकारी की आई0डी0 बनाकर अपरिचित जगहों पर क्यों ऐसी अपराधिक हरकत करेगा, सूत्र यह भी बताते है कि जिस अखबार को लखनऊ से वह लाया आखिर बिना अथारिटी के वह कार्य कर नहीं रहा होगा, और अमूमन सम्पादको द्वारा कानूनी पचड़े से बचने के लिये नये संवाददाताओं को दरकिनार कर अपना पल्लू झाड़ लिया जाता है। लेकिन सच तो सामने आना चाहिये और कम से कम अपने जिले की मीडिया को जरूर यह खबर बनानी चाहिये और तलाशनी चाहिये कि आखिर सच क्या है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की पुलिस सिद्धार्थनगर समेत जिस ढंग से आरोप पत्र प्रेषित करती है, उसके टेबिल वर्क ज्यादा होता है, और चार्जशीट में असल मुल्जिम का नाम हटा देना जिनकी अपराध में भूमिका न हो उनके विरूद्ध चार्जशीट प्रेषित कर देना यह एक नहीं दर्जनों उदाहरण जिले की अदालतों में मिल जायेंगी।

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