………………….कविता………………………
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तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है
मोह के समुंद्र से उबर कर, अपने भावनाओं से लड़कर,
हरपल क्षण सँवारने की बात होती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है।
हृदय भरा हो उमंगों से, लक्ष्य निहारता तुम्हें युगों से,
सुबह सूरज फिर आता है, उससे पहले रात होती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती हैं।
संकल्प लिया मन में जो ठाना है,
विचलित न होना, न बहाना है,
जिस डगर में काँटे चुभे, उसी पर फूलों की बरसात होती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है।
चुनौती देता रहता जीवन का हर पल,
न ठहरो, लड़ कर आगे निकल,
रेगिस्तान में जो दरिया बहा दे, उसी की बात होती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है।
झूठ कपट विकार जब कभी छलना चाहे,
आलस्य बेड़ी में जकड़ना चाहे,
अभ्यास करो बुराई को जीतने का,
क्योंकि बुराई- अच्छाई साथ होती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है।
स्वस्थ तन मन का सहारा तुम जानों,
कब खाना, कब सोना, कब उठना तुम मानों,
संयमित दिनचर्या ही अच्छे भविष्य की सौगात देती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है।
हमारा तुमसे विमल मोह पुराना है,
कलेजे के टुकड़े को दूर जो जाना है,
सूरज की तरह चमकोगी,
इस इंतजार में दबी मेरी जज्बात होती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है।
आकांक्षाओं की ऐसी उड़ान भरो,
पंख ऐसे सशक्त हो कि नभ छू लो,
माता पिता की गोद में तनिक विश्राम कर लो,
इनकी दुआएँ सदैव साथ होती है,
तब जाकर सफलता से मुलाकात होती है।
डा0 विमल कुमार द्विवेदी/ दैनिक बुद्ध का संदेश
(मन सारथी, डा0 विमल कुमार द्विवेदी,एम.बी.बी.एस.,एमएस आर्थो के द्धारा लिखित)