सिद्धार्थनगर : “मेरी कहानी मेरी जुबानी” का पायलट प्रोजेक्ट सिद्धार्थनगर में लांच, कहानी के दोनों पात्रों को मिला सम्मान
दैनिक बुद्ध का संदेश
सिद्धार्थनगर। बुधवार को पीरामल फाउंडेशन की ओर से “मेरी कहानी मेरी जुबानी” पर चर्चा सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सिद्धार्थ नगर के जिला विकास अधिकारी जे.पी. कुशवाहा ने किया। इस मौके पर उन्होंने ने कहा कि पीरामल फाउंडेशन का यह कदम काफी सराहनीय है। इस तरह के कार्यक्रम को जिला प्रशासन की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रभुदयाल यादव और जरीना खातुन द्वारा समाज के लिए जो भी कार्य किए जा रहे हैं वह सराहनीय है। इस बीच राष्ट्रीय बाल स्वस्थ्य कार्यक्रम के जिला प्रबंधक अनंत कुमार ने यह सूचना दी है कि स्वच्छता अभियान के तहत जरीना खातुन जिले का ब्रांडएम्बेस्डर बनाया जाएगा ताकि जिले में जब भी महावारी स्वस्छता दिवस का कार्यक्रम चलेगा उन्हें वहां बुलाया जाएगा। श्री कुशवाहा ने बताया कि सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं, उन योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाना हमसब का दायित्व है। प्रधान जी के सहयोग से इस कार्य को और बेहतर ढ़ंग से किया जाएगा।/7———————————————————————
प्रशासन की ओर से भी उन्हें पूरा सहयोग मिलेगा। इस मौके पर श्री कुशवाहा और नीति आयोग के नोडल अधिकारी बी.एस. यादव ने दोनों कहानी पात्रों को शॉल और प्रस्सति पत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर पीरामल फाउंडेशन प्रोग्राम डायरेक्टर संजय सुमन ने बताया कि “मेरी कहानी मेरी जुबानी”का उद्देश्य यह है कि समाज के वैसे लोग जो निरूस्वार्थभाव से समाज का सेवा कर रहे हैं। उन्हें समाज के बीच लाएं और आम लोगों को बताए। उन्होंने बताया कि पीरामल फाउंडेशन की यह सोच है कि किस तरह से समाज और समाज के मुद्दों को सरकार के समक्ष रख उसका समाधान हो सके। इसमें मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस मौके पर पीरामल फाउंडेशन के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर संतोष कुमार सिंह, शैलेन्द्र सिंह, सत्येन्द्र सिंह, योगेन्द्र मोहन, राखी कुमारी, मृणांल, देवेन्द्र सिंह (स्माइल फाउंउशन) विनोद प्रजापति व ममता (स्वाभिमान समिति) आदि कई लोग उपस्थित थे। मेरी कहानी मेरी जुबानी कार्यक्रम में प्रभुदयाल यादव बताते हैं कि वे जोगिया ब्लॉक सिद्धार्थनगर के रहने वाले है।
बचपन से ही समाज सेवा करना पसंद था। सेवा के उददेश्य से और खुद की पहचान बनाने के लिए वर्ष 2012 में गाँव वापस आ गयें और गाँव के सम्मानित जनता का सेवा करने लगें जैसे रू- जरूरतमंद को हास्पिटल ले जाना, लोगो को सरकारी सहायता दिलवाना इत्यादि कार्य में मन लगने लगा। जरीना खातून ने अपने बारे में कि वे जब 14 साल की थी तब पहली बार इनकी महावारी आई थी, ये इतना घबरा गई थी कुछ समझ नहीं आ रहा था। इन्हे लगा कि गाँव की अन्य लड़कियों को भी यह समस्या आती होगी उन्हे भी जागरूक करने की ठान ली और गाँव की सभी लड़कियो को जागरूक करना शुरू किया। इस प्रकार लगभग तीन सौ किशोरियों और महिलाओं को महावारी स्वच्छता पर जागरूक करके पैड इस्तेमाल के लिए राजी कर लिया। इन्हीं सबके दौरान पिरामल फाउण्डेशन के गाँधी फेलो से मुलाकात हुई और स्वयं सेवा के लिए इन्हें और जानकारी हुई, अब यह अपने गाँव के सभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए ठान ली है, अभी उनका मानना है कि समाज सेवा से बढ़कर कोई सेवा नही हो सकता।