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संतकबीरनगर : गांव छोड़िए, अभी कई कस्बों के लिए नहीं हैं बसें

मुख्यमंत्री ने की थी गांवों को रोडवेज की बसों से जोड़ने की घोषणा

दैनिक बुद्ध का सन्देश
संतकबीरनगर। मुख्यमंत्री ने गांवों को परिवहन निगम की बसों से जोड़ने की घोषणा की थी, लेकिन धरातल पर यह योजना उतर नहीं पाई। गांवों को छोड़िए, कस्बों में भी रोडवेज बस की सेवा नहीं है। जिसकी वजह से यात्रियों को आने-जाने में निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे जहां अधिक किराये का बोझ पड़ रहा है, वहीं दुश्वारियां भी झेलनी पड़ रही है। जिले का गठन 1997 में हुआ था, जब से बस डिपो की स्थापना के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अब तक के सारे प्रयास फेल नजर आ रहे हैं। स्थिति यह है कि मेंहदावल से एक बस गोरखपुर के लिए चलती है। इस बस के चले जाने पर यात्रियों को प्राइवेट वाहनों के सहारे यात्रा करनी पड़ रही है। इससे यात्रियों को अधिक किराया देना पड़ता है। इसी प्रकार की स्थिति धनघटा की भी है। यहां से भी एक बस गोरखपुर के लिए आती -जाती है। वैसे इन दोनों मार्गों पर पांच से छह प्राइवेट बसें चलती हैं, लेकिन इनमें जब सवारी पूरी तरह से भर जाती है तभी बसें आगे बढ़ती हैं। इसके कारण यात्रियों को समय से अपने गंतव्य तक पहुंचने में दिक्कत उठानी पड़ रही है। साथ ही प्राइवेट वाहन चालक मनमाना किराया भी वसूलते हैं।
बाक्स………………..इन रुटों पर नहीं है परिवहन निगम की बसें
खलीलाबाद के मंझरिया से कटका-मोलनापुर बाजार, नौरंगिया से कटाई, नाथनगर से काली जगदीशपुर सहित विभिन्न मार्गों पर परिवहन निगम की बसों का संचालन नहीं होता है, जिसके कारण इन क्षेत्रों के यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। क्षेत्र के निवासी राम रतन, संदीप, सर्वेन्द गुप्ता, शंकर मंद्धेशिया, आदि ने बताया कि परिवहन निगम की बसें न चलने से प्राइवेट वाहनों के सहारे यात्रा करनी पड़ रही है। इससे समय की बर्बादी के साथ ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।जिले के विभिन्न मार्गों पर परिवहन निगम की बसें संचालित हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही बसें उपलब्ध होंगी।

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