यू. पी. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अयोध्या द्वारा जिले में अवैध रूप से संचालित मेसर्स शिव शक्ति ब्रिक फील्ड का लिया गया संज्ञान
ब्यूरो दैनिक बुद्ध का सन्देश
दैनिक बुद्ध का सन्देश
बहराइच। मेसर्स शिव शक्ति ब्रिक फील्ड के मामले में राजेंद्र सिंह पुत्र जसवीर सिंह के द्वारा की गई शिकायत का संज्ञान उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अयोध्या द्वारा लेते हुए दिनांक 16.07. 24 को संबंधित को भेजे गए नोटिस के क्रम में अवगत करवाया गया है कि उक्त भट्ठे का निरीक्षण संबंधित अधिकारियों द्वारा किया गया था जिसमें ईंट भट्ठे का संचालन पाया गया। जिसमें आप द्वारा स्थापनार्थ सहमति राज्य बोर्ड से प्राप्त नहीं किया गया और न ही राज्य बोर्ड से संचालनार्थ आवश्यक सहमति प्राप्त किया गया।आईजीआरएस में दर्ज शिकायत का हवाला देते हुए कहा गया है कि उक्त भट्ठे के संचालन से पर्यावरण को नुकसान होने के साथ विभाग भी कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।आपके द्वारा भट्ठे के संचालन हेतु सहमति विषयक आवेदन व भट्टे की स्थापना स्थल के संदर्भ में नियमावली 2012 के समक्ष नहीं होने के कारण ऑनलाइन रिफरेंस के द्वारा दिनांक 23 02.24 को अस्वीकृत कर दिया गया था।बावजूद आपके द्वारा भट्ठे का संचालन किया जा रहा है।जो जल प्रदूषण निवारण व नियंत्रण अधिनियम 25, 26 तथा वायु प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 21 का खुला उल्लंघन एवं दंडनीय अपराध है जिसके अंतर्गत उद्योग बंद करने, सजा व जुर्माने दोनो का प्रावधान है और उक्त भट्ठे के स्वामी को एक सप्ताह का अवसर अपना स्पष्टीकरण रखने का अवसर दिया गया था।जिसकी सूचना मुख्य पर्यावरण अधिकारी लखनऊ को भी दिनांक 16.07. 24 को दी गई। जसवीर सिंह की शिकायत कि उक्त ब्रिक फील्ड बिना लाईसेंस एवं बिना पर्यावरण की एनओसी से चल रहा है जिसे तत्काल बंद कराए जाने की आवश्यकता है ;के क्रम में खनन अधिकारी द्वारा दिनांक 22.07.24 को जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र के माध्यम से अवगत करवाया गया है कि उपयुक्त प्रकरण का संबंध क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, क्षेत्रीय कार्यालय अयोध्या से है जिसमें शिकायत के क्रम में निर्देशित किया गया है कि निर्धारित अवधि में भट्ठा स्वामी द्वारा अपना स्पष्टीकरण न देने की दशा में समझा जाएगा कि उक्त संबंध में उन्हें कुछ नहीं कहना और विधिक कार्रवाई की जाएगी। तदनुसार शिकायती पत्र को निक्षेपित करने का कष्ट करें।तहसीलदार सदर द्वारा भी खनन अधिकारी से ही मिलती जुलती रिपोर्ट प्रेषित की गई। लेकिन यहां बड़ा सवाल यह भी है कि यहां उस बात का ध्यान क्यूं नहीं रक्खा गया जिसमे अधिकारियों द्वारा भी कार्यवाही न करने की बात लिखी गई है और खनन अधिकारी द्वारा जिस तीव्र गति से निक्षेपित करने की बात कही गई है तो यह भी स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उक्त भट्ठा विगत कई वर्षों से जिले स्तर के आखिर किन-किन अधिकारियों के संरक्षण में पाला पोसा जा रहा था?क्या ऐसे लोगों का गुनाह सामने नहीं आना चाहिए? क्या उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए? अब देखना यह भी दिलचस्प होगा कि क्या स्पष्टीकरण देकर जनपदीय स्तर के अधिकारी मामले से बरी हो जाएंगे या फिर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अयोध्या द्वारा मामले में अंतिम भूमिका निभाई जाएगी |