बलरामपुर: मां बाप ढो रहें बच्चों के बस्ते का बोझ
दैनिक बुद्ध का संदेश
तुलसीपुर/बलरामपुर। अप्रैल जुलाई के आते ही बस्ते का बोझ मां बाप को ढोना पड़ता है पढ़ाई के नाम पर छोटे छोटे बच्चों पर तमाम कॉपी किताब का बोझ स्कूल द्वारा लाद दिया जाता है। जबकि बच्चो की पढ़ाई के नाम पर कई क्लास बनाये जाते है वहीं से शुरू होता है बोझ मजबूरन पढ़ाने के नाम पर मां बाप अच्छा स्कूल जानकर मोटी रकम भी देते है
और तो और अब स्कूल से ही ड्रेस किताबें कापियां टाई मोजा जूता बस्ता स्वेटर और अलग-अलग दिन के अलग-अलग ड्रेस भी होते हैं मजबूरन उसी स्कूल से खरीदना भी पड़ता है जिसके लिए भी मोटी रकम देनी पड़ती है बस्ता कितना वजनी होता है की बच्चे अकेले उसे नहीं उठा सकता मजबूरन मां बाप सुबह स्कूल तक छोड़ने जाते हैं और छुट्टी होने पर उन्हें वापस लाने भी जाना पड़ता है पूछने पर लोगों ने बताया कि भैया क्या करें पढ़ाना भी तो मजबूरी है बच्चे से घर पर पूछो तो कुछ आता नहीं है टीचर कहते हैं कि ट्यूशन आवश्यक है ट्यूशन में भी मोटी रकम देकर ही पढ़ाना पड़ता है।