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सिद्धार्थनगर : रतन सेन डिग्री कॉलेज, में मनाया गया राष्ट्रीय युवा दिवस

दैनिक बुद्ध का संदेश/सुषमा मिश्रा
सिद्धार्थनगर। कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 संतोष कुमार सिंह ने माँ सरस्वती व स्वामी विवेकानन्द के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन से किया। कार्यक्रम में एन0सी0सी0 अधिकारी ले0 (डॉ0) राजेश कुमार यादव ने कहा स्वामी विवेकानन्द जी का जन्मदिवस प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को देशभर में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। देश के युवाओं को समर्पित इस दिन को मनाने का एक खास मकसद होता है। स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। बचपन से ही आधात्म में रूचि रखने वाले नरेंद्रनाथ ने 25 साल की उम्र में संन्यास ले लिया। संन्यास लेने के बाद वह दुनियाभर में विवेकानंद नाम से मशहूर हुए।

वह वेदांत के एक विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 सुनीता त्रिपाठी ने अपनी बात राष्ट्रीय युवा दिवस 2004 की थीम प्रारम्भ की इट्स ऑल इन द माइंडए जिसका हिंदी में अर्थ है सब कुछ आपके दिमाग में है। इस थीम का मकसद लोगों को ये समझाना है कि अगर व्यथक्ति मन में कुछ ठान लेए तो ऐसा कुछ नहीं हैए जिसे वो पूरा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा स्वामी विवेकानंद जी वर्ष 1893 में अमेरिका के शिकागो में धर्म सम्मेलन के आयोजन में विवेकानंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। यहां उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत जैसी ही श्मेरे प्रिय अमेरिकी भाइयों और बहनोश् के साथ कीए पूरी सभा तालियों से गूंज गई। भाषण के दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृतिए विचारों से लोगों को परिचित करायाए समाज में फैली बुराइयों पर जमकर कुठाराघात किया। वहां मौजूद सभी लोग युवा विवेकानंद से अभिभूत थे। 1894 में न्यूयॉर्क में इन्होंने वेदान्त सोसाइटी की स्थापना की।

प्राचार्य डॉ0 संतोष कुमार सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा विवेकानंद विदेश दौरे पर थे और अलग.अलग जगहों पर अपना व्यांख्या न दे रहे थे। ऐसे ही एक भाषण को सुनकर प्रभावित हुई एक महिला उनके पास आई और बोली कि वो उनसे शादी करना चाहती हैए जिससे उसे भी उनकी ही तरह प्रतिभाशाली पुत्र मिले। उस महिला की बात सुनकर स्वा मी जी बोले कि वो एक सन्याससी हैं और इस वजह से शादी के बंधन में नहीं बंध सकते हैं। इसलिए वो पुत्र बनना स्वीककार कर सकते हैं। ऐसा करने से न तो उनका सन्या स टूटेगा और उन्हें भी पुत्र हासिल हो जाएगा। ये सुनकर उस महिला की आंखों से आंसू गिर पड़े और वो स्वांमी जी के चरणों में गिर पड़ी और बोली कि आप धन्यल हैं। आप ईश्व र के रूप हैं जो किसी भी बुरे समय में भी विचलित नहीं होते हैं। प्राचार्य ने कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले समस्त स्व्यंसेवक/स्वयंसेविकाओं का आभार व्यक्त किया और अपनी ष्उठोए जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको मत।श्श् से समाप्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक/स्वयंसेविकायें संदीप, संध्या, श्रेया, निधि, मुस्कान, प्रीति, लक्ष्मी, सुधा, सलोनी, धीरज, शबाना, संचिता, फातमा व अन्य स्वयंसेवक/स्वयंसेविकाओं ने अपने विचार व भाषण स्वामी विवेकानन्द जी पर प्रस्तुत किया। मंच का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 विनोद कुमार ने किया।

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