घोरावल : यज्ञ करने से सद्गति की प्राप्ति होती है- नारायणानंद
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दैनिक बुद्ध का संदेश
घोरावल,सोनभद्र। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज के पावन सानिध्य में शिवाय फाउंडेशन द्वारा आयोजित रुद्र महायज्ञ एवं शिवपुराण ज्ञान यज्ञ में उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए बताये कि यज्ञ भगवान विष्णु का ही अपना स्वरूप है।
यज्ञ करने वाले नर नारी बड़भागी होते हैं। इस लोक में उनका दुःख-दारिद्रय तो मिटता ही है, साथ ही परलोक में भी सद्गति की प्राप्ति होती है। यज्ञ में जलने वाली समिधा समस्त वातावरण को प्रदूषण मुक्त करती है। यज्ञवेदी पर गूंजने वाली वैदिक ऋचाओं का तो कहना ही क्या, अद्भुत प्रभाव डालती हैं। यज्ञ में बोले जाने वाले मंत्र व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। यज्ञ से ब्रह्मवर्चस की प्राप्ति होती है। यज्ञ से शांति, सुख की प्राप्ति होती है। जो याज्ञिक हैं, वे हर बाधा को पार कर जाते हैं। यज्ञ में बोले जाने वाले हर मंत्र में शरीर को झंकृत करने की अपार शक्ति होती है। परमपिता परमेश्वर से नाता जोड़ने का अनुपम माध्यम है। यज्ञ कि यज्ञ के माध्यम से मनुष्य विद्वान बनता है, लेकिन मनुष्य को स्वयं को कुछ विशेष आहार-विहार एवं गुण-कर्म में ढालना पड़ता है। ताकि इस दौरान उसका चिंतन मनन श्रेष्ठ बना रहे। महाराज श्री ने बताया भारतीय संस्कृति में यज्ञ का बड़ा महत्व है। यज्ञ प्रकृति के निकट रहने का साधन है। रोग नाशक औषधियों से किया यज्ञ रोग निवारण वातावरण को प्रदूषण से मुक्त करके स्वस्थ रहने में सहायक होता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी परीक्षण करके यज्ञ द्वारा वायु की शुद्धि होकर रोग निवारण की इस वैदिक मान्यता को स्वीकार किया है। कथा के पूर्व काशी के विद्वानों द्वारा पूजन यजमानों सहित भक्त वंशीधर दुबे, अरुण दुबे, विनोद तिवारी, हिमांशु कुमार सिंह, गोपाल सिंह, ब्लॉक प्रमुख दीपक सिंह, यज्ञ नारायण पाण्डेय, ओम प्रकाश दुबे, राम आशीष दुबे, केवला प्रसाद, एच एन तिवारी, गजेंद्र प्रताप सिंह, अशोक कुमार सहित विभिन्न क्षेत्रों से आये भक्तों द्वारा सम्पन्न हुई।
SAURABH TRIPATHi