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यज्ञ का छठा दिन भक्त संगीत मय प्रबचन सुन हुए भाव बिभोर, सोनभद्र

लक्ष्मी नारायण हवनात्मक महायज्ञ के छठवे दिन मुख्य यजमान गोपालसिंह वैद्य सपत्नी एवं अन्य यजमानों द्वारा 2 लाख 40हजार नारायण एवं लक्ष्मी कीआहुति दी गई। शाम को प्रवचन सुनने के लिए क्षेत्र के करमा, मदैनिया, चाड़ी, पगिया, रानितारा, आदि गावोके भक्तों ने सुबह सेआकर मंडप की परिक्रमा शुरू कर दी। विकासखंड करमा के शंकर धाम आश्रम करन वाह गांव में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के छठवें दिन सुबह से ही भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा । सुग्रिवा नंद महाराज के सानिध्य में चल रहे यज्ञ के छठवें दिन शुक्रवार को यज्ञाचार्य दयाशंकर शुक्ल एवं अन्य ब्राह्मणों हीरा शास्त्री, अरुण कुमार शुक्ला, द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ मंडप में आवाहित देवी देवताओं का पूजन कराने के बाद ल क्ष्मी नारायण का हवन का कार्य क्रम दिन भर चलता रहा। प्रवचन के दौरान सुग्रीवा नंद महारा ज ने संगीत मय प्रवचन के दौरान शबरी की कथा, माता अनुसुइया केमार्मिक प्रसंग को सुनाया। आगे उन्होंने कहा कि लक्ष्मी और नारायण एक दूसरे के पूरक हैं जो भक्त लक्ष्मी नारायण का एक साथ पूजन करते हैं उन भक्तों को भगवान की हमेशा कृपा बनी रहती है। उन्होंने कहा कि यज्ञ को केवल भौतिक कर्मकांड ही नही समझना चाहिए अपितु इसको आध्यात्मिक रूप से समझ कर आध्यात्मिक अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए। यज्ञ एक आंतरिक प्रक्रिया है ब्रह्म यज्ञ उसी का प्रतीक है।श्री मद भागवत गीता में कहा गया है कि यज्ञ के जरिए आध्यात्मिक संपदा एवं सुख शान्तिकी भी प्राप्ति होती है। उक्त अवसर पर मदन तिवारी, ओमप्रकाश, परमानंद, कार्तिकेय सिंह, महेश प्रताप सिंह, अमित कुमार सिंह, शिव पूजन सिंह,अनिल सिंह,रविन्द्र बहादुर सिंह आलोक कुमार पाण्डेय,जितेंद्र सिंह,, संज य सिंह, श्यामसुंद र सिंह,धर्मेन्द्र सिंह, रामराज यादव, दरोगा मौर्य,समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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